Monday, August 11, 2008

राग किरवानी में सुरीली झनकार ...


साथियो, कबाड़खाने में आज मिलिए नादब्रह्म की साधना करनेवाली एक ऐसी शख्सियत से जिसने कम उम्र में संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। देश की प्रथम व एकमात्र महिला विचित्रवीणा वादिका होने का गौरव प्राप्त राधिका का  जिक्र यहां हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि  उन्होंने भी ब्लागजगत में दाखिला लिया है अपने ब्लाग वाणी के जरिये । यहां राधिका का संगीत भी हम सुनवाएंगे। ग्वालियर संगीत घराने की राधिका ने सुरों की दुनिया से अपना रिश्ता विचित्रवीणा नाम के एक ऐसे वाद्ययंत्र से जोड़ा है जो सितार,सरोद, बांसुरी , वायलिन जैसे लोकप्रिय वाद्यों की तुलना में कम जाना-पहचाना है। विचित्रवीणा एक अत्यन्त कठिन वाद्य हैं । खासतौर पर महिलाओं के लिए इस विशिष्ट मगर प्राचीन वाद्य को चुनना विरल सी बात है। पहले सुनते हैं राधिका की विचित्र वीणा जिस पर उन्होंने बजाया है राग किरवानी ।

 




राधिका के बारे में विस्तार से यहां देखें।

9 comments:

  1. अभी शब्दों के सफर पर सुना, बहुत आभार.

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  2. Badi sureeli Zankar. pahli bar suni wichitr weena.
    Radhika ji ko aur aapko badhaee.

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  3. अजित भाई संगीत तो सभी लाते हैं आप एक संगीतज्ञ को ले आए, ये बड़ी बात है। विचित्रवीणा कोई आसान वाद्ययंत्र नहीं है। इस सबके लिए बधाई राधिका जी को भी!

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  4. इस दुर्लभ वाद्य से रूबरू करवाने के हार्दिक आभार अजित भाई.राधिका जी के वादन में तंत्रकारी के साथ विज़न भी सुनाई दे रहा है. कम ही लोग बचे हैं इस वाद्य को साधने वाले . राधिकाजी को अनेक शुभकामनाएं.
    किसी ज़माने में विविध भारती के शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम अनुरंजनी में लक्ष्मी शंकर के स्वर में निबध्द राग किरवानी की बंदिश ’नट नागर अति सुंदरा’याद आ गई.हँसध्वनि की तरह किरवानी भी दक्षिण में भी गाया बजाया जाने वाला राग है.

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  5. शुक्रिया संजय भाई,
    जहां तक मुझे याद आ रहा है , आपकी स्मृति में बसी विविधभारती से प्रसारित राग किरवानी की उक्त बंदिश लक्ष्मी शंकर की नहीं बल्कि प्रख्यात शास्त्रीय गायिका माणिक वर्मा की आवाज़ में है।

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  6. नहीं अजित भाई,
    लक्ष्मी शंकर ही हैं वे.नटनागरा,अतिसुंदरा,लोचन विशालाम,नंद के लाला.एक बार लक्ष्मीजी से इन्दौर में गवा भी चुका हूँ ये रचना ...बतौर फ़रमाइश.

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  7. धन्यवाद राधिका जी से मिलवाने का, ओर मधुर संगीत सुनवाने का.

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  8. शुक्रिया संजय भाई,
    मुझे ही शायद नाम विस्मृत हो रहा हो। अब दुरुस्त कर लिया है :)

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  9. अजित भाई,
    खूब बढिया!!
    मन आनंदित है!!!!

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