Saturday, January 17, 2009

ग़ालिब बरास्ता रामनाथ सुमन


सिद्धेश्वर भाई ने इस बीच कुछ समय ग़ालिब की खुमारी में बिताया और उसका एक हिस्सा हम तक भी पहुंचाया। इसलिए यह पोस्ट उन्हीं नज़्र है।

मुझे ग़ालिब पर श्री रामनाथ सुमन की लिखी और 1960 में ज्ञानपीठ से छपी एक किताब मिली है। रामनाथ सुमन को हिंदी वाले उनके बेटे की वजह से भी जानते हैं, सो मैं चाहूंगा कि आपमें से कोई उनके बेटे का नाम भी बताए, जाहिर है कई लोग बता देंगे। इस किताब में ग़ालिब के साहित्य की व्याख्या है और मैं इसमें से कुछ चुनकर आपके सामने प्रस्तुत करूंगा।



आज का शेर

कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया

दिल कहां कि गुम कीजे, हमने मुद्दआ पाया



सुमन - अगर किसी की खोई चीज़ किसी और को मिल जाती है तो वह छेड़ने के लिए कहता है कि अगर हमें मिल गई तो हम न देंगे। कभी दूसरे की चीज़ लेने की मन में आती है तो उसे छिपाकर कहते हैं कि तुम्हारी चीज़ हमें मिल गई तो हम न देंगे। यही स्थिति इस शेर में भी है।

"तुम कह रहे हो कि अगर तुम्हारा दिल हमें कहीं पड़ा मिल गया तो हम न देंगे। पर वह है कहां? हमारे पास तो है नहीं कि खोने का डर हो। हां, तुम्हारी बात से मैं तुम्हारा मतलब समझ गया कि तुम्हें मेरे दिल की कामना है या तुम उसे पहिले ही पा चुके हो। वह तो तुम्हारे पास ही है। तब मुझे क्यों नाहक छेड़ रहे हो?"

13 comments:

  1. गुरु जी ! एक उम्र नाम की है ग़ालिब-ओ-मीर की इबादत में ... बाकी भी गुज़र जाए तो अल्लाह की मर्ज़ी ! बस एक शेर फ़िलहाल याद आता है :

    "ख़ुद नामः बन के जाइए, उस आशना के पास
    क्या फायदः कि मिन्नत-ए-बेगनः कीजिये"

    कभी कभी तो जी में आता है कि "किस से कहें ?" बिसार के बस हर रोज़ एक शेर पोस्ट कर दिया करूं .. ग़ालिब या मीर का .... डेढ़ हज़ार ब्लोग्स एक तरफ़ ... वो एक शेर एक तरफ़ ....

    ReplyDelete
  2. उनके जिन सुपुत्र की बात आप कर रहे हैं मुझे उन्होंने अपनी पीठ की बहुत सवारी कराई है. नाम न लूंगा.

    ReplyDelete
  3. और हां प्यारे, चचा का शेर अच्छा लगाया तैने!

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  5. मौज भई जी मौज भई!!
    शुक्रिया!!

    ReplyDelete
  6. यह पुस्तक कई वर्षों से मेरे पास है। ग़ालिब पर हिन्दी में कई पुस्तके हैं पर रामनाथ सुमन का काम अद्भुत है। ज़िंदगी और शायरी दोनों की बेहतरीन व्याख्या करती है ये किताब।

    ReplyDelete
  7. शेर और शेर का मतलब अपनी तरह से देकर बहुत अच्छा किया. ग़ालिब जैसे महान शायर की खुसूसियात यही हैं कि जो जितने चाहे इंटरप्रिटेशन कर सकता है. बहत खूब!

    ReplyDelete
  8. अच्छा है। रामनाथ सुमन जी के लड़के नाम हम जानते हैं लेकिन बतायेंगे नहीं। कोई और पहल करे पहले।

    ReplyDelete
  9. तब तो हम भी कह देँगे कि हम भी जानते हैँ लेकिन बताएँगे नहीँ !!!

    ReplyDelete
  10. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  11. सुमन के सुगंध हैं..मन के रंजन हैं...हम जैसे लाखों की खिड़कियाँ खोलने वाले पहल हैं..ज्ञान के भण्डार हैं....खुदा उन्हें लम्बी उम्र दे....मंदिरों में घंटा बजाते हैं हम..सांस्कृतिक नगरी नर्मदा मैय्या की जय बोलो!! अशोक जी अब नाम बताना पड़ेगा..क़ि पर्याप्त है

    ReplyDelete