पाई को दशमलव में तब्दील करने पर गणित पढ़ाने वाले गुरुवर एक ग़ज़ब बात बताया करते थे.
π = २२/७ = ३.१४१५९२६५३५८९७९३२३८४६२६४३३.........
यह दशमलव अनन्त तक खींचा जा सकता है और इसके अंक किसी भी नियमित पैटर्न को फ़ॉलो नहीं करते.
क्या पाई कविता का विषय बनाया जा सकता है? हां, अगर शिम्बोर्स्का चाहें तो वे कुछ भी कर सकती हैं:

पाई
क्या शानदार संख्या है पाई:
तीन दशमलव एक चार एक.
आगे के सारे अंक भी शुरुआती हैं
पांच दो नौ क्योंकि कभी खत्म नहीं होना इस संख्या को
एक निगाह में नहीं समझ सकते इसे आप छः पांच तीन पांच
न गणना से आठ नौ
न कल्पना से सात नौ
न तर्कशास्त्र से तीन दो तीन आठ या तुलना से
चार छः या दुनिया की किसी भी चीज़ से
दो छः चार तीन
करीब चालीस फ़ीट के बाद दुनिया का सबसे बड़ा सांप
इस से हार मान लेता है.
इसी तरह किया करते हैं गाथाओं में आने वाले सांप -
अलबत्ता वे थोड़ा ज़्यादा देर तक ठहर पाते होंगे
पाई संख्या बनाने वाले अंकों का नृत्य
पृष्ठ के कोने पर पहुंच कर भी नहीं थमता
वह मेज़ से होता, हवा से गुज़रता हुआ
दीवार पर से, एक पत्ती, चिड़िया के घोंसले और बादलों से होता
सीधा आसमान में जा पहुंचता है
तमाम अतल स्वर्गों से गुज़र कर.
ओह, कितनी छोटी होती है पुच्छलतारे की पूंछ -
किसी चूहे या सूअर की पूंछ जितनी
कितनी कमज़ोर होती है एक तारे की किरण
जो शून्य में टकराते ही मुड़ जाती है!
जबकि यहां हमारे पास हैं - दो तीन पन्द्रह तीन सौ उन्नीस
मेरा फ़ोन नम्बर
तुम्हारी कमीज़ का साइज़
साल
उन्नीस सौ तिहत्तर और छ्ठी मंज़िल
लोगों की संख्या पैंसठ सैंट
कूल्हों की नाप, दो उंगलियां
एक गीत के बोल
एक कोड जिसमें हमें मिलते हैं "तुम्हारा स्वागत ओ फ़रिश्ते"
"चिड़िया तुम कभी नहीं थीं"
और इनकी बग़ल में "देवियो और सजानो, डरने की ज़रूरत नहीं"
और साथ ही "धरती और स्वर्ग दोनों ही गुज़र जाएंगे"
लेकिन पाई नहीं गुज़रेगी.
ना जी, कोई मतलब ही नहीं होता.
वह बनाए रखती है अपने उल्लेखनीय पांच को
अपने ख़ास आठ को
जो दूर रखता है आख़िरी सात को
कोहनी मारता
जारी रखता हुआ
एक अलसाई अनन्तता को.
अच्छी जानकारी, बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कविता है। लेकिन इसे कविता कहने पर भी शर्म आ रही है। किस काम की है यह? इसमें कौन सा सौन्दर्य है?
ReplyDeleteआज आपकी पोस्ट से एक पुराना कवि याद आया, पहले पोस्ट के बारे में - ख़ूबसूरत, संजीदा, काव्यमयी, ज्ञानवर्धक, जादू भरी उनके लिए जिन्होंने दसवीं नक़ल से नहीं अकल से पास की है. पाई से जितने मान आपने निकाले हैं उनका भी जवाब नहीं. बात कवि की थी तो वे थे चीनी कवि पाई चुई. उनकी एक कविता-
ReplyDelete!! कमल चुनते हुए !!
हवा में डोलते पत्ते
जल कुम्भी के
कमल की पैदाइश सबसे घनी है जहां
वहां से पार तैरती आती एक नाव
कि फूलों के बीच से दिखाई दे जाता है प्रियतम
शरमा के वह अपना सर झुकाती है
और उसके जूडे से
कीमती कंघा
गिर जाता है पानी में !
पाई चुई [ 772 -846 ई ]
वाह क्या कविता है?
ReplyDeleteअजब-गजब चीज है ये पाई
ReplyDeleteपर पाई की याद कैसे आई भाई!
अंकों की बाजीगरी कभी समझ नहीं आई
ReplyDeleteपर ये कविता आई...
पाई बराबर 22/7 भी याद आ गया और कविता तो...शानदार!
ReplyDeletemain ganit se hamesha darta raha, kaash aisi kavitaon se padhta main ganit.
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ReplyDeleteदरअसल पाई का मान २२/७ दशमलव के सिर्फ दो अंको तक ही ठीक है. इससे भी सही मान आर्यभट्ट ने ३५५/११३ दिया था जो दशमलव के चार अंकों तक सही है.
ReplyDeleteto vi shi with all reverence
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value of pi has always remained a riddle for mathematicians. for them one of the problels is : squaring the circle. popular belief suggests - u can't draw a square equal in size of a circle. size means area. some r trying to do it. they maintain that pi is not equal to 3.14; it rather nears 3.25 and thus the squaring the circle problem can b solved. though vi shi has did it even wiyh 3.14. here lies the real poetic power.