मेरे एक शानदार दोस्त हैं वेरनर फ़ोगेल. ऑस्ट्रिया में रहते हैं. ऑस्ट्रियाई रेलवे विभाग की दूरसंचार सेवा का चीफ़ बन चुकने के बाद फ़क़त पचार की उमर में उन्होंने रिटायरमेन्ट ले लिया. इस बात को दो-तीन साल बीत चुके हैं. तब से वे लगातार दुनिया घूम रहे हैं. उनकी भारत यात्रा के बारे में मैंने एक लम्बा संस्मरण कभी यहां लगाया था. फ़िलहाल वेरनर अलास्का में हैं. उन्होंने मुझे ये तस्वीरें मेल के मार्फ़त कल ही भेजी हैं. आइये तस्वीरें देखी जाएं और वेरनर (वेरनर सुर्ख़ लाल रंग की जैकेट पहने हैं) से रश्क किया जाए:
हमारे मैदानों का भी एक सौंदर्य होता है पांडेय जी कभी इधर भी नजर डालें पर अभी नहीं बारिश होने दीजिए। सच कहूं तो मुझे अपने सुल्तानपुर से अच्छ कुछ भी नहीं लगा। अभी पिछले दिनों 15 दिन की केरल यात्रा पर था लोग वहां के हम मैदानियों से बहुत बेहतर हैं पर प्रकृति के मामले में अल्लाह ताला ने हमें सबसे ज्यादा दिया है और वह भी दिलखोलकर।
हमारे मैदानों का भी एक सौंदर्य होता है पांडेय जी कभी इधर भी नजर डालें पर अभी नहीं बारिश होने दीजिए। सच कहूं तो मुझे अपने सुल्तानपुर से अच्छ कुछ भी नहीं लगा। अभी पिछले दिनों 15 दिन की केरल यात्रा पर था लोग वहां के हम मैदानियों से बहुत बेहतर हैं पर प्रकृति के मामले में अल्लाह ताला ने हमें सबसे ज्यादा दिया है और वह भी दिलखोलकर।
beautiful pictures, lucky guy
ReplyDeletejagah hi esi hai ki pictures to badiya honi hi thi. prakriti ke sanidhya me rahane vala har shaksh khushnasib hai.
ReplyDeletekya kahne wah, shaandaar.
ReplyDeletedunia kitni khubsurat hai, kya ham ese hamesa ke liye surakshit rakh payege, In sundar tasveero ke leye veran aur ashok bhaiya je ka dhanyavad.
ReplyDeleteअप्रतिम प्राकृतिक सौन्दर्य । वेरनर जी बधाई के पात्र हैं ।
ReplyDeleteजबर्दस्त...
ReplyDeletevery nice pics
ReplyDeleteहमारे मैदानों का भी एक सौंदर्य होता है पांडेय जी कभी इधर भी नजर डालें पर अभी नहीं बारिश होने दीजिए। सच कहूं तो मुझे अपने सुल्तानपुर से अच्छ कुछ भी नहीं लगा। अभी पिछले दिनों 15 दिन की केरल यात्रा पर था लोग वहां के हम मैदानियों से बहुत बेहतर हैं पर प्रकृति के मामले में अल्लाह ताला ने हमें सबसे ज्यादा दिया है और वह भी दिलखोलकर।
ReplyDeleteहमारे मैदानों का भी एक सौंदर्य होता है पांडेय जी कभी इधर भी नजर डालें पर अभी नहीं बारिश होने दीजिए। सच कहूं तो मुझे अपने सुल्तानपुर से अच्छ कुछ भी नहीं लगा। अभी पिछले दिनों 15 दिन की केरल यात्रा पर था लोग वहां के हम मैदानियों से बहुत बेहतर हैं पर प्रकृति के मामले में अल्लाह ताला ने हमें सबसे ज्यादा दिया है और वह भी दिलखोलकर।
ReplyDeleteकमाल है ! सब तस्वीरें पेंटिंग लग रही हैं . दो दोस्तों और भालू को देख बचपन में पढ़ी ईसप या पंचतंत्र टाइप एक अमर कहानी याद आ रही है .
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