Thursday, February 16, 2012

संभवतः हम एक प्रयोगधर्मी पीढ़ी हैं?


शायद यह सब

विस्वावा शिम्बोर्स्का

शायद यह सब
किसी प्रयोगशाला में घटित हो रहा है?
दिन के वक़्त एक
और रात के वक़्त अरबों दीयों की रोशनी में?

संभवतः हम एक प्रयोगधर्मी पीढ़ी हैं?
एक बरतन से दूसरे में उड़ेले जाते
परखनलियों में हिलाए जाते
सिर्फ आँख से ही न परखे जाते
हम में से हर किसी को
आखिरकार चिमटी से पकड़ा जाता है

या शायद यह इस बात के ज़्यादा करीब है -
कोई बाधा नहीं?
योजनाबद्ध तरीके से
अपने आप होते हैं परिवर्तन?
ग्राफ की सुई
धीमे-धीमे उकेरती है पूर्वनिर्धारित ऊंची-नीची लकीरें?

शायद इस सीमा तक हम बहुत दिलचस्पी लेने लायक नहीं होते?
आमतौर पर कंट्रोल-मॉनीटरों को स्विच से नहीं जोड़ा जाता?
केवल युद्धों के लिए, बेहतर होता है महायुद्धों के लिए
धरती के ढेले के ऊपर एक बेढब उड़ान के लिए
या बिंदु 'अ' से 'ब' तक की महत्वपूर्ण यात्रा के लिए?

शायद उसका ठीक उल्टा -
हो सकता है ऊपर वालों को रोजमर्रा की चीज़ों में रस आता हो?
देखो! उस बड़ी स्क्रीन पर एक छोटी लड़की
अपनी आस्तीन पर बटन टाँक रही है.
राडार चीखता है
और दौड़े चले आते हैं कर्मचारी.
कितना प्यारा नन्हा सा प्राणी
उसका नन्हा दिल धड़कता हुआ उस के भीतर!

सुई के टाँके
कितने प्यारे, कितने गंभीर!
कभी कोई चिल्लाता है -
बॉस को खबर करो,
उसे बताओ
उसने अपनी आँखों से देखना चाहिए ये सब!

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