tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post1224878710986977827..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: गार्सिया लोर्का का गिटारAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-84727163911654239792008-08-11T13:59:00.000+05:302008-08-11T13:59:00.000+05:30शुक्रिया इसे यहाँ बांटने के लिए....शुक्रिया इसे यहाँ बांटने के लिए....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-16278046727522438192008-08-10T21:45:00.000+05:302008-08-10T21:45:00.000+05:30बहुत खूब म्रेरे भाई!बहुत खूब म्रेरे भाई!siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-16164519769916964942008-08-10T19:20:00.000+05:302008-08-10T19:20:00.000+05:30लोर्का और दरवेश की यह साझी याद !लोर्का का अद्भुत ग...लोर्का और दरवेश की यह साझी याद !<BR/>लोर्का का अद्भुत गीत!<BR/>दरवेश का जाना दुखद है। गीत ने अनिल जयविजय के किए अच्छे अनुवाद लगाए हैं इस पोस्ट के नीचे ।शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-60733049758495467032008-08-10T17:59:00.000+05:302008-08-10T17:59:00.000+05:30असंभवउसे चुप कराना.वह रोता हैसुदूर चीज़ों के वास्ते...असंभव<BR/>उसे चुप कराना.<BR/><BR/>वह रोता है<BR/>सुदूर चीज़ों के वास्ते.<BR/><BR/><BR/>अच्छा है गिटार का रुदन, उसके चुप और निर्जीव हो जाने से। रो सकना कितना अच्छा रहा होगा।शायदाhttps://www.blogger.com/profile/17484034104621975035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-54010435426357945902008-08-10T15:55:00.000+05:302008-08-10T15:55:00.000+05:30... व्यर्थ है उसे चुप कराना.असंभव उसे चुप कराना.वह...... <BR/><BR/>व्यर्थ है <BR/>उसे चुप कराना.<BR/><BR/>असंभव <BR/>उसे चुप कराना.<BR/><BR/>वह रोता जाता है<BR/>बोझिल <BR/>- पानी रोता है<BR/>- और बर्फ़ के खेतों पर <BR/>रोती जाती है हवा.<BR/><BR/>असंभव <BR/>उसे चुप कराना.<BR/><BR/>वह रोता है <BR/>सुदूर चीज़ों के वास्ते.<BR/><BR/>बहुत सुन्दर छवियां और अच्छा आलेख. पहले महमूद दरवेश की कविताएं और अब लोर्का की. क्या बात है!Vineeta Yashsavihttps://www.blogger.com/profile/10574001200862952259noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-7592840641836259952008-08-10T15:48:00.000+05:302008-08-10T15:48:00.000+05:30ओ गिटार!ओ पांच तलवारों से जानलेवा बींधे हुए हृदय!....ओ गिटार!<BR/>ओ पांच तलवारों से <BR/>जानलेवा बींधे हुए हृदय!<BR/>...anurag vatshttps://www.blogger.com/profile/06840124673778359435noreply@blogger.com