tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post1358215360105352795..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: जब भाषा में बिखराव होता है, तो वह सतही रह जाती है और सवालों का हल नहीं दे पातीAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-59073695775049088632014-04-30T10:29:08.953+05:302014-04-30T10:29:08.953+05:30शानदार लेख। भाषा एक बेहद जरूरी मुद्दा है पर इस पर ...शानदार लेख। भाषा एक बेहद जरूरी मुद्दा है पर इस पर हमने बात करना कब का बंद कर दिया है। यह कई कई बार भोगी हुई बात है कि हिंदी या दूसरी भारतीय भाषाओं के पक्ष में बोलते ही हमारे अनेक मित्र (अपने को प्रगतिशील कहने वाले भी) इस तरह से नाक-भौं सिकोड़ते हैं जैसे कोई आवारा कुतिया उनके बेहद कलात्मक बैठक में घुस आई हो। इस मसले पर उनका दूसरा रुख यह है कि भारतीय भाषाओं की बात करते ही आप प्रतिक्रियावादी या संघी Manojhttps://www.blogger.com/profile/14754629355835097765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-63427637519141399622014-04-29T18:12:58.658+05:302014-04-29T18:12:58.658+05:30आभार एक जबर्दस्त लेख से रूबरू कराने के लिये ।आभार एक जबर्दस्त लेख से रूबरू कराने के लिये ।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com