tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post1903962746085208059..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: ऐसे पोर्ट्रेट बना सकूं जो एक सदी बाद रह रहे लोगों को प्रेतों जैसे नज़र आएंAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-8782522031964406632013-08-25T12:32:01.376+05:302013-08-25T12:32:01.376+05:30विन्सेंट वान गॉग (Vincent Willem van Gogh, मार्च 1...विन्सेंट वान गॉग (Vincent Willem van Gogh, मार्च 1853 से जुलाई 1890) को विन्सेंट वान गॉ या विन्सेंट वान होफ लिखा जाना शायद अधिक सही होता..उच्चारण की दृष्टि से. यथार्थ जीवन में ट्रेजेडी king रहा ये कलाकार सनकी परन्तु विलक्षण था. शायद उसके जीवन का अंत इस गीत के बोल के अनुसार हुआ हो:<br />खिज़ां के फूल पे आती नहीं, बहार कभी.<br />मेरे नसीब में ए दोस्त, तेरा प्यार नहीं.<br />S K Vermahttps://www.blogger.com/profile/03177266932682507505noreply@blogger.com