tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post2280113325809411613..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: पवित्रता का दौरा - हरिशंकर परसाई जी की रचनाएँ - १Ashok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-72004736850883978322012-05-07T12:03:39.031+05:302012-05-07T12:03:39.031+05:30बड़े दिनों से हरिशंकर जी की रचनाएँ पढ़ने का मन था, क...बड़े दिनों से हरिशंकर जी की रचनाएँ पढ़ने का मन था, काफी लोगो ने बोला था | यहाँ पर मिल नहीं पा रही थी उनकी पुस्तकें, आपका प्रयास सराहनीय है !!!<br /><br />बाकी परसाई जी के बारे में क्या बोलें, वो वाकई में "शाश्वत साहित्य" लिख गए हैं !!!देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-89892701727380612612012-05-06T21:00:59.148+05:302012-05-06T21:00:59.148+05:30"शाश्वत साहित्य लिखने का संकल्प लेकर बैठने वा..."शाश्वत साहित्य लिखने का संकल्प लेकर बैठने वाले मैंने तुरंत मरते देखे हैं. एक शाश्वत साहित्य लिखने वाले ने कई साल पहले मुझसे कहा था- अरे, आप स्कूल मास्टर होकर भी इतना अच्छा लिखते हैं. मैं तो सोचता था, आप प्रोफेसर होंगे. उन्होंने स्कूल-मास्टर लेखक की हमेशा उपेक्षा की. वे खुद प्रोफेसर रहे. पर आगे उनकी यह दुर्गति हुई कि उन्हें कोर्स में लगी मेरी ही रचनाएं कक्षा में पढ़ानी पड़ीं. उनका शाश्वत Digamberhttps://www.blogger.com/profile/13513290747757708417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-78639318410271005402012-05-06T20:58:28.798+05:302012-05-06T20:58:28.798+05:30"शाश्वत साहित्य लिखने का संकल्प लेकर बैठने वा..."शाश्वत साहित्य लिखने का संकल्प लेकर बैठने वाले मैंने तुरंत मरते देखे हैं. एक शाश्वत साहित्य लिखने वाले ने कई साल पहले मुझसे कहा था- अरे, आप स्कूल मास्टर होकर भी इतना अच्छा लिखते हैं. मैं तो सोचता था, आप प्रोफेसर होंगे. उन्होंने स्कूल-मास्टर लेखक की हमेशा उपेक्षा की. वे खुद प्रोफेसर रहे. पर आगे उनकी यह दुर्गति हुई कि उन्हें कोर्स में लगी मेरी ही रचनाएं कक्षा में पढ़ानी पड़ीं. उनका शाश्वत Digamberhttps://www.blogger.com/profile/13513290747757708417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-23473274715336221442012-05-06T01:06:33.922+05:302012-05-06T01:06:33.922+05:30बहुत अच्छी श्रृंखला है.. आगे की कड़ियों का इंतज़ार...बहुत अच्छी श्रृंखला है.. आगे की कड़ियों का इंतज़ार रहेगा.. परसाई जैसा चीज़ों को पेश करते हैं, पाठक का तुरंत रिश्ता बन जाता है, उसे अपने जीवन की परछाइयाँ नजर आने लगती हैं.iqbal abhimanyuhttps://www.blogger.com/profile/15082145353058329783noreply@blogger.com