tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post2445556610796119026..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: अब कलम से इजारबंद ही डाल (हबीब जालिब की नज़्म 'सहाफी से')Ashok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-82701388613425197482007-10-31T19:45:00.000+05:302007-10-31T19:45:00.000+05:30अशोक दा उम्मीद नही पूरा भरोसा है आप नही पहचानेंगे....अशोक दा उम्मीद नही पूरा भरोसा है आप नही पहचानेंगे. २-३ छोटी मुलाकातों और एक देहली से हल्द्वानी की यात्रा के अलावा और कुछ है भी नही याद दिलाने को. दीपा ने इस पेज पर ला पटका है और पिछले १ हफ्ते से लगातार नजर है मेरी इस पेज पर. खैर इस पेज पर टिपण्णी लिखने की ख़ास वजह ये है की अभी कुछ ही दिन पहले राजेंद्र यादव का एक interview पड़ा था गंगोलीहाट के एक लोकल अख़बार में और उनके अनुसार कविता का हिन्दी Himanshuhttps://www.blogger.com/profile/17918257970388754421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-75117995898350215292007-10-28T12:21:00.000+05:302007-10-28T12:21:00.000+05:30वाकई बडे...वाकई बडे फायदे हैं कलम केNeelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.com