tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post3118157868383536775..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: नहीं, मैंने वह टाफी खाई ही नहीं बाहर फेंक दी.Ashok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-36506993332167917212012-05-08T10:02:43.949+05:302012-05-08T10:02:43.949+05:30कहानी संस्मरणात्मक है और ऐसी सादी और पुरअसर है कि ...कहानी संस्मरणात्मक है और ऐसी सादी और पुरअसर है कि इक़बाल अभिमन्यु क्या, कोई भी भूल सकता है कि यह लाल्टू जी का अपना किस्सा नहीं है।Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-24226036908550733942012-05-05T16:37:37.604+05:302012-05-05T16:37:37.604+05:30टॉफी खाने की सिर्फ़ guilt अकेले मुख्य पात्र की नही...टॉफी खाने की सिर्फ़ guilt अकेले मुख्य पात्र की नहीं, शायद सबकी है, तस्वीरों ने लेकिन सवाल पूछना बंद कर दिया |<br /><br />अच्छी कहानी |Neerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-52643848100269713472012-05-05T12:54:07.964+05:302012-05-05T12:54:07.964+05:30अरे ! वाह कहानी जबरदस्त है.. माफ कीजियेगा. मुझे लग...अरे ! वाह कहानी जबरदस्त है.. माफ कीजियेगा. मुझे लगा संस्मरण है. कैप्शन भी दिया गया है, लेकिन मैंने ही उल्टा पुल्टा समझ लिया..iqbal abhimanyuhttps://www.blogger.com/profile/15082145353058329783noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-20273185740873408432012-05-03T21:21:25.305+05:302012-05-03T21:21:25.305+05:30अरे भाई, यह संस्मरण नहीं, कहानी ही है। मेरी माँ अभ...अरे भाई, यह संस्मरण नहीं, कहानी ही है। मेरी माँ अभी भी ज़िंदा है। <br />ला.लाल्टूhttps://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-31183498008572024782012-05-03T18:20:55.864+05:302012-05-03T18:20:55.864+05:30आँखों के सामने साकार हो गया सारा किस्सा.. लाल्टू ज...आँखों के सामने साकार हो गया सारा किस्सा.. लाल्टू जी के प्रति मोह बढता ही जाता है, ऐसे संस्मरण पढकर हमेशा लगता है, कि नहीं, इस देश मैं ऐसे लोग हैं, बहुत तादाद में हैं, और उन्ही से जुडकर उम्मीद न छोड़ना, सीखकर आगे बदना और लड़ना, यह संभव है.. ये पिता पुत्र अमिट रहेंगे स्मृति मेंiqbal abhimanyuhttps://www.blogger.com/profile/15082145353058329783noreply@blogger.com