tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post3513991180398937912..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: कबाड़ी की आखि़री पोस्टAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-34490104650064234902011-04-20T17:34:47.401+05:302011-04-20T17:34:47.401+05:30कुछ ही महीने हुए हैं मुझे कबाडखाना पढ़ते ! आज थोडा...कुछ ही महीने हुए हैं मुझे कबाडखाना पढ़ते ! आज थोडा free थी तो सोचा कुछ पुराना कबाड़ टटोला जाए ! यहाँ के तो सारे टीन टप्पर अपने काम के होते हैं ! खोजने निकली तो ये वाली पोस्ट मिल गयी और ये पोस्ट मिल गयी तो बात भले पुरानी हुयी,लेकिन कमेंट्स से लिखे बिना मुझे न रहा गया ! <br /><br />आप ऐसे भी थे क्या अशोक सर ?<br /><br />चलिए अच्छा है कि आप थोडा बड़े हो गए ! <br /><br />काम बहुत है अभी आप लोगों के बाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-53630512558274750882007-12-27T23:07:00.000+05:302007-12-27T23:07:00.000+05:30arry ashok ab maan bhai jaoo,haati ki mast chaal c...arry ashok ab maan bhai jaoo,<BR/><BR/>haati ki mast chaal chalo,bhaunknay walay to bhaunk tay rahigay!!!!<BR/><BR/>dinesh semwalDinesh Semwalhttps://www.blogger.com/profile/18182293179669075060noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-27730294506790203842007-12-27T22:36:00.000+05:302007-12-27T22:36:00.000+05:30Irfan ke kahe ko chorus effect me sunne ka prayas...Irfan ke kahe ko chorus effect me sunne ka prayas karen.मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-64577743058959139722007-12-27T20:14:00.000+05:302007-12-27T20:14:00.000+05:30अमां यार - ये बिल्कुल ग़लत - घोर ग़लत बात है - क्...अमां यार - ये बिल्कुल ग़लत - घोर ग़लत बात है - क्या तुम्हें उन सब की ज़्यादा फिक्र है जो थोथा पढ़ कर सार छोड़ते है ? - उन बाकियों का क्या, जो बगैर हल्ला गुल्ला किए फुरसत की जमां पूंजी का वक्त तुम्हारे खजाने पर सम्हालते है ? तनिक संवेदनाओं की नज़र इधर भी करें - उन सब की ओर जो चुप-चाप सुने हैं / पढ़ें हैं - उम्मीद है वज़न मिलेगा - इस हक को जतलाने के लिए छिमा - हम सब की उम्र का भी लिहाज़ कीजिये -Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-36214019063073987712007-12-27T18:25:00.000+05:302007-12-27T18:25:00.000+05:30बेनामी टिप्पणी कारॊं की परवाह ना करें। हम जैसे प...बेनामी टिप्पणी कारॊं की परवाह ना करें। हम जैसे पाठकों की ओर भी ध्यान दे।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-76623955200230399142007-12-27T15:20:00.000+05:302007-12-27T15:20:00.000+05:30कृपया पुनर्विचार करें.कृपया पुनर्विचार करें.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-47365947629158766012007-12-27T14:56:00.000+05:302007-12-27T14:56:00.000+05:30अशोक जी,क्या ये पहली बार हुआ है कि इस तरह की बेना...अशोक जी,<BR/>क्या ये पहली बार हुआ है कि इस तरह की बेनाम टिप्पणी ने आपके कामों को मटियामेट करने की कोशिश की और अब वो सफल होता भी जान पड़ रहा है। कविता और संगीत की आपकी पसंद और लस्ट फॉर लाइफ के अनुवाद को पढ़कर ऐसा लगता तो नहीं कि इतनी जरा सी बात आपको इस कदर हिला सकती है। <BR/>मेरे इनबॉक्स में बेदखल की डायरी की हर पोस्ट और कविता के लिए ऐसे कमेंट आते हैं कि उन सबको पढ़कर तो मुझे अरब सागर में मनीषा पांडेhttps://www.blogger.com/profile/01771275949371202944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-17534953274164911932007-12-27T13:35:00.000+05:302007-12-27T13:35:00.000+05:30पांडेजी,क्या एक बेनाम टिप्पणीकार ने आपको मैदान छोड़...पांडेजी,<BR/><BR/>क्या एक बेनाम टिप्पणीकार ने आपको मैदान छोड़ने पर मज़बूर किया है?<BR/>What a pity!<BR/>मैं भी कई बार अपने लेखों में अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग करता हूँ।<BR/>कारण ? मेरी हिन्दी कमजोर है। मेरी मतृभाषा हिन्दी नहीं है। अभी सीख रहा हूँ। आजीवन परिस्थितियों के कारण, अंग्रेज़ी में ही लिखते आया हूँ।<BR/><BR/>इस समय हिन्दी के प्रति प्रेम ज्यादा और ज्ञान कम है लेकिन आशा करता हूँ कि धीरे-धीरे G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-67315140212992077152007-12-27T13:15:00.000+05:302007-12-27T13:15:00.000+05:30Aap Ko itni chhoti baat par aise react nahi karna ...Aap Ko itni chhoti baat par aise react nahi karna chahiye. ek prtikriya apne dekhi par aapka saath dene wale bhi to itne log hai. sabhi sach ko jante hai. isliye mere bhi apse yahe prarthna hai ki aap apna naam wapas na le aur is blog ko ise tarah chlne de.Vineeta Yashswihttps://www.blogger.com/profile/17048750315469664312noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-12269723681000377152007-12-27T12:53:00.000+05:302007-12-27T12:53:00.000+05:30अशोक दा, सोचते हो कि इतनी आसानी से पीछा छूट जाएगा?...अशोक दा, सोचते हो कि इतनी आसानी से पीछा छूट जाएगा? इस फैसले का कोई तुक नहीं है इसलिए एक शानदार पोस्ट के साथ आपको अपने फैसले पर तुरंत अफसोस ज़ाहिर करना चाहिए. एक बात और असहमति का अधिकार तो सबको है ना, अगर कोई बेनाम समहत नहीं तो इसमें दुखी होने की क्या बात है? आशा है आप एक बेनाम के लिए इतने सारे नामधारी शुभचिंतकों को निराश नहीं करेंगे.Bhupenhttps://www.blogger.com/profile/05878017724167078478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-31409052770858806732007-12-27T12:35:00.000+05:302007-12-27T12:35:00.000+05:30अशोक जी, दो तीन दिन से कोई भी ब्लॉग नहीं पढ़े थे अत...अशोक जी, दो तीन दिन से कोई भी ब्लॉग नहीं पढ़े थे अत: समझ नहीं आया कि बात क्या हुई । अब पिछले चिट्ठों में खोजा तो कारण सामने आ गया । <BR/>संवेदनशील होना बहुत अच्छी बात है और यह लेखन के लिए आवश्यक भी है । परन्तु जिस संवेदनशीलता से लेखन ही छूट जाए या आपके पाठकों को आपका लिखा मिलना बंद हो जाए, उस संवेदनशीलता का क्या लाभ ? <BR/>आपके इस कबाड़खाने के प्रयास के कारण हमें बहुत से नए लेखकों व चिट्ठाकारों का ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-91637750493955213812007-12-27T11:44:00.000+05:302007-12-27T11:44:00.000+05:30mujhe lagta hai Ashok tu jaldbaji kar raha hai. Ka...mujhe lagta hai Ashok tu jaldbaji kar raha hai. Kabaadkhaana itne kam arse mein itna lokpriya ho chuka hai ki ab istarah ise band nahin kiya ja sakta. yah aisa hi hai jaise bachcha paida karne ke baad maan ke pas use marne ka adhikar nahin rahta hai. Bhai jara raham kar...baksh de us namurad tippanikar ko aur hamen upkrit karSunder Chand Thakurhttps://www.blogger.com/profile/09642545034125027351noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-39484294224681428522007-12-27T11:42:00.000+05:302007-12-27T11:42:00.000+05:30चूतियापा न करें.चूतियापा न करें.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-2621039908432904002007-12-27T11:14:00.000+05:302007-12-27T11:14:00.000+05:30यह निर्णय क्यो? अभी-अभी आपसे पहचान हुई, कुमार गन्ध...यह निर्णय क्यो? अभी-अभी आपसे पहचान हुई, कुमार गन्धर्व के निर्गुण सन्गीत से आपने मेरा घर भर दिया। शिम्बोर्स्का, निकोनार पारा की बेहतरीन कविताए पेश की...!यह ठीक है कि मै पहाड का नही हू...लेकिन हिन्दी भाषा की व्याप्ति बडी है और आपका काम दूर-दूर तक पहुन्च रहा था। आपने सन्गीत की सी.डी. भी भेजी...!<BR/>यह मेरा अनुरोध है, सच्चा आग्रह कि आप ब्लोग से बाहर न जायेन...। यह एक छोटा-स कम्म्युनिटी सेन्टर था, Uday Prakashhttps://www.blogger.com/profile/07587503029581457151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-14845067825487917042007-12-27T10:57:00.000+05:302007-12-27T10:57:00.000+05:30इतनी ज़्ररा सी बात पर संटियाये नही.अच्छा ब्लोग है, ...इतनी ज़्ररा सी बात पर संटियाये नही.<BR/><BR/>अच्छा ब्लोग है, कबाडी भाग गये तो सब तरफ गन्द फैल जायेगी.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-30078578725336969712007-12-27T10:37:00.000+05:302007-12-27T10:37:00.000+05:30आपसे पुनर्विचार का आग्रह है... दरअसल हिन्दी ब्लॉगि...आपसे पुनर्विचार का आग्रह है... <BR/><BR/>दरअसल हिन्दी ब्लॉगिंग अभी शैशवावस्था में है. किशोरा वस्था और युवावस्था के आते तक तो टिप्पणियों-पोस्टों, प्रतिटिप्पणियों-प्रतिपोस्टों में जूतमपैजार तक की नौबत आने वाली है और, शर्तिया, पोस्टें-टिप्पणियाँ भी फूहड़ता की सारी सीमाएँ लांघेंगीं.<BR/><BR/>इनसे बचने का एक ही उपाय है इन्हें अनदेखा करें. पोस्टों को न पढ़ें, जैसा कि इनका वजूद ही न हो. टिप्पणियों को रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-23563783156728440122007-12-27T10:15:00.000+05:302007-12-27T10:15:00.000+05:30कबाडखाने को नियमित रूप से पढने वालों की संख्या आप ...कबाडखाने को नियमित रूप से पढने वालों की संख्या आप के अनुमान से अधिक है. इससे हटने का आपका निर्णय दुखद है. कृपया पुनर्विचार करें.<BR/><BR/>कोई भी लेखक किसी भी विधा में लिखता हो, चाहे एक मिशन हो य न हो, वह हिन्दी के प्रचार प्रसार में एक महत्वपूर्ण कडी है. एक कडी का टूटना सारे जंजीर पर असर डालता है. <BR/><BR/>जिस तरह से अज्ञात टिप्पणीकार के प्रति आपने संवेदनशीलता दिखाई उसी तरह हम ज्ञात टिप्पणीकारों Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-70780345267453282092007-12-27T10:09:00.000+05:302007-12-27T10:09:00.000+05:30अशोक दाज्यू,केवल इतना ही कहुंगा कि अपने निर्णय पर ...अशोक दाज्यू,<BR/><BR/>केवल इतना ही कहुंगा कि अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें और ऎसी छोटी छोटी बातों पर ध्यान भी ना दें. आप इस कबाड़खाने में जो कबाड़ जुटा रहे हैं वो शायद ही कोई जुटा पाये. इसलिये आप बने रहें और हम सबको प्रोत्साहित करते रहें.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com