tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post441469553636992819..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: आज जाने की ज़िद न करो मेहदी हसनAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-37534561210772766032018-01-05T09:50:33.366+05:302018-01-05T09:50:33.366+05:30सांस्कृतिक विभाजन जब राजनीतिक सच के रूप में जमीन प...सांस्कृतिक विभाजन जब राजनीतिक सच के रूप में जमीन पर उतर आती है, और एक बड़ी जनसंख्या उसके प्रभाव में वर्तमान और भविष्य का मूल्यांकन करता है, तू कट्टर सोच का उपजना स्वभाविक है। अतीत को लेकर सकारात्मक होने के बात एक सीमा के बाहर वास्तविक जीवन में नहीं पाया जाता। क्योंकि सामाजिक जीवन में व्याप्त विविधता, और उस से उपजी क्लिष्टता का इस्तेमाल करने के लिए राजनीति हमेशा तैयार रहती है।<br />वैसे इस उद्धरण इशमेलावालाhttps://www.blogger.com/profile/03610016292344516805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-71198258088311080722018-01-05T09:48:43.456+05:302018-01-05T09:48:43.456+05:30सांस्कृतिक विभाजन जब राजनीतिक सच के रूप में जमीन प...सांस्कृतिक विभाजन जब राजनीतिक सच के रूप में जमीन पर उतर आती है, और एक बड़ी जनसंख्या उसके प्रभाव में वर्तमान और भविष्य का मूल्यांकन करता है, तू कट्टर सोच का उपजना स्वभाविक है। अतीत को लेकर सकारात्मक होने के बात एक सीमा के बाहर वास्तविक जीवन में नहीं पाया जाता। क्योंकि सामाजिक जीवन में व्याप्त विविधता, और उस से उपजी क्लिष्टता का इस्तेमाल करने के लिए राजनीति हमेशा तैयार रहती है।<br />वैसे इस उद्धरण इशमेलावालाhttps://www.blogger.com/profile/03610016292344516805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-62261370900647914902015-01-05T21:06:20.877+05:302015-01-05T21:06:20.877+05:30वाक़ई ख़ूबसूरत संस्मरण - पुर-असर.…धन्यवादवाक़ई ख़ूबसूरत संस्मरण - पुर-असर.…धन्यवादRahul Gaurhttps://www.blogger.com/profile/07435518686025024393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-41423947310402217102015-01-04T23:00:25.921+05:302015-01-04T23:00:25.921+05:30हिन्दू पूरी बेशर्मी और जहालत के साथ पेड़ के ताजे, ...हिन्दू पूरी बेशर्मी और जहालत के साथ पेड़ के ताजे, खिले फूल तोड़ता है, मुसलमान ज़मीन पर गिरे फूल उठाता है. हिन्दू मोबाईल पर तेज आवाज में भजन, प्रार्थनाएं सुनता है, मुसलमान इयर फोन लगाकर. हिन्दू बच्चे सूखे तालाब में क्रिकेट खेलते हैं, मदरसे के मुसलमान बच्चे किनारे बैठ कर उन्हें खेलते देखते हैं. हिन्दू बरगद के नीचे 'बैंकुठधाम' बना कर कीर्तन कथा करने लगता है, मुसलमान इकट्ठा होकर कुरआन पर बात आशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-34274130179350575712015-01-04T11:29:11.509+05:302015-01-04T11:29:11.509+05:30Unfortunately we are losing the battle. It is not ...Unfortunately we are losing the battle. It is not so much the old guard, the new generation is very high on xenophobia and the notion of the natural suppository. <br />Very empathetic article and that which transports into deja vu and hapless resignation at the same time, but that's the modern day facts.Subhash Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/00020779744329379391noreply@blogger.com