tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post5033472351345298932..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: गुलज़ार की नज़्म जंगल और पेंटिंगAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-27512328717698527502009-02-26T18:36:00.000+05:302009-02-26T18:36:00.000+05:30sabhi ka shukriya!sabhi ka shukriya!ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-62322167043348208702009-02-26T12:21:00.000+05:302009-02-26T12:21:00.000+05:30wah bahut khubwah bahut khubmakrandhttps://www.blogger.com/profile/14750141193155613957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-52232211386276506722009-02-26T09:40:00.000+05:302009-02-26T09:40:00.000+05:30गुलज़ार की कविताओं में जंगल भी गुलज़ार हो उठता है।गुलज़ार की कविताओं में जंगल भी गुलज़ार हो उठता है।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-6803686397298358522009-02-25T22:57:00.000+05:302009-02-25T22:57:00.000+05:30रविन्द्र जी की पेंटिग रंगो में खास तरलता के लिए अल...रविन्द्र जी की पेंटिग रंगो में खास तरलता के लिए अलग से पहचानी जा रही है। पनियल हरा रंग जिसमें जीवन सांस लेता हुआ है, उनकी अन्य पेंटिग में भी आ रहा है- जो पिछले दिनों इधर-उधर दिखाई दीं। रविन्द्र जी के काम को मै ब्लाग की वजह से ही जानने लगा हूं। एक महत्वपूर्ण आर्टिस्ट से ब्लाग के कारण ही परिचित हो पाया हूं, इसीलिए उल्लेख करना जरूरी लग रहा है।विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-32757815793062420872009-02-25T21:56:00.000+05:302009-02-25T21:56:00.000+05:30हुज़ूर बस किसी दरिया की आहट सुन रहा हूं मैं !हुज़ूर बस किसी दरिया की आहट सुन रहा हूं मैं !एस. बी. सिंहhttps://www.blogger.com/profile/09126898288010277632noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-83281792444949047392009-02-25T18:56:00.000+05:302009-02-25T18:56:00.000+05:30तुम्हारी आंख में परवाज दिखती है परिंदों कीतुम्हारे...तुम्हारी आंख में परवाज दिखती है परिंदों की<BR/>तुम्हारे क़द से अक्सर आबशारों के हसीं क़द याद हैं!<BR/><BR/>बहुत ही उम्मुन्दा रचना के लिये बधाई।<BR/><BR/>[हे प्रभु यह तेरापन्थ, के समर्थक बनिये और टिपणी देकर हिन्दि ब्लोग जगत मे योगदान दे]हें प्रभु यह तेरापंथhttps://www.blogger.com/profile/12518864074743366000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-2128986320909415522009-02-25T16:40:00.000+05:302009-02-25T16:40:00.000+05:30नज्मके साथ साथ पेंटिंग भी बहुत सुन्दर है शुक्रिया...नज्मके साथ साथ पेंटिंग भी बहुत सुन्दर है शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-13795725382655011782009-02-25T15:35:00.000+05:302009-02-25T15:35:00.000+05:30कभी तुम नींद में करवट बदलती हो तोबल पड़ता है दरिया...कभी तुम नींद में करवट बदलती हो तो<BR/>बल पड़ता है दरिया में!<BR/><BR/>तुम्हारी आंख में परवाज दिखती है परिंदों की<BR/>तुम्हारे क़द से अक्सर आबशारों के हसीं क़द याद हैं!<BR/><BR/><BR/>gulzaar to gulzaar hain, ek ek lafz mein kaise jadu bhar dete hainनीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.com