tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post5595183000906592009..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: क्षमाप्रार्थी हों कविगण - चन्द्रकांत देवतालेAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-66153971388303054302008-08-25T22:17:00.000+05:302008-08-25T22:17:00.000+05:30किसी ने पूछा ही तो था साँप से-ऐ साँप, तुम तो कभी म...किसी ने पूछा ही तो था साँप से-<BR/><B><I>ऐ साँप, तुम तो कभी मनुष्यों के दोस्त नहीं रहे, कभी सभ्य नहीं हुए।<BR/>फिर ये जहर कहाँ पाया, ये काटना कहाँ सीखा?</I></B>सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.com