tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post7470430313141706322..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: 'कते दिन रामा भरब हम गगरी'Ashok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-1119771426969307292008-08-17T01:29:00.000+05:302008-08-17T01:29:00.000+05:30भाई, आप बहुत ही लगन से सार्थकता के शिखर पर हैं.सफल...भाई, आप बहुत ही लगन से सार्थकता के शिखर पर हैं.सफलता तो कई हैं पर सार्थक एकाध ही नज़र आते हैं.कई बार सोचा इधर आऊं लेकिन शहर दिल्ली कि व्यस्त फिर ब्लॉग का नया-नया-चस्का आज आखिर पहुच ही गया.<BR/>अफ़सोस हुआ, हाय हँसा हम न हुए की तर्ज़ पर कि हाय पहले क्यों न आया. <BR/>कई पोस्ट देखी.तेवर वही पर अंदाज़ और कंटेंट में जुदागाना असर.<BR/>हमारा भी ठिकाना है, जहां और भी भूले-भटके आ जाते हैं.गर आप आयें तो ख़ुशी شہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.com