tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post8583443985912679809..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: काफ़्का और गाबो के बहाने एक उम्मीदAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-73889345220968748182013-07-21T23:21:25.226+05:302013-07-21T23:21:25.226+05:30यह बात मुझे हमेशा हैरान करती है कि काफ्का का इतना ...यह बात मुझे हमेशा हैरान करती है कि काफ्का का इतना पढ़कर यह हाल है और जब वो हजारों पन्ने मैं पढ़ पाऊंगा,तब क्या होगा...और यह भी जादुई बात लगती है कि काफ्का के हजारों पन्ने अब भी मौजूद हैं और पढ़े जा सकते हैं और उन्हें अभी किसी ने नहीं पढ़ा है ......Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16666015869234977711noreply@blogger.com