tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post900439692934463879..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: फ़ारूख़ शेख़ की एक याद भाई संजय पटेल की फेसबुक वॉल सेAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-79485577142965145812013-12-29T12:03:44.077+05:302013-12-29T12:03:44.077+05:30असल में जीते जी वो हमारा कंपीटीटर होता है कायनात क...असल में जीते जी वो हमारा कंपीटीटर होता है कायनात की ऑक्सीजन सोखने में ,तो हम सोचते हैं कि कल जता लेंगे मोहब्बत । फ़ारूख एक शानदार अदाकार थे और वो हमारे दिलों में तब तक रहेंगे जब तक कि वो धड़कना बन्द होकर उन्हीं के दिल की तरह खाक में नहीं मिल जाते । मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-12572647444786987452013-12-28T16:26:07.708+05:302013-12-28T16:26:07.708+05:30सही बात आदमी का पता सुना है मरने के बाद ही लिखा जा...सही बात आदमी का पता सुना है मरने के बाद ही लिखा जाता है :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com