Friday, May 9, 2008

तुम्हरि नगरिया की कठिन डगरिया

अभी कुछ नहीं बस एक करुणापूरित ईमानदार पुकार. कोई प्रस्तावना नहीं कोई परिचय नहीं. सुनिये क्यों अभी तक इतने आदरणीय बने हुए हैं कुन्दनलाल सहगल

3 comments:

Uday Prakash said...

All clips.....obsessing, consuming...! superb..!

Neeraj Rohilla said...

बहुत आभार इसे सुनाने का,

इसको पहले नहीं सुना था । ये किस फ़िल्म से है ?

Ashok Pande said...

नीरज भाई, सहगल साहब ने यह गाना १९४२ में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'भक्त सूरदास' के लिए गाया था और उन्हें भारतीय फ़िल्म संगीत के इतिहास में अमर बनाने में यह बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है.

आप सुनते रहें. अभी बहुत सारा माल बकाया है.

धन्यवाद!