Tuesday, October 14, 2008

अल्मोड़ा का दशहरा तस्वीरों में

अल्मोड़ा का दशहरा बहुत विख्यात है. उस दिन यहां रावण के अलावा मेघनाद, अहिरावण, ताड़िका इत्यादि के पुतलों का दहन होता है. एक परम्परा यह है कि इन जीवन्त पुतलों को बनाने में कई हफ़्तों तक स्थानीय कलाकार मेहनत करते हैं. दशहरे के दिन दहन से पूर्व इन की झांकी पूरे अल्मोड़ा शहर में निकाली जाती है.

प्रस्तुत हैं इस साल के दशहरे के कुछ फ़ोटो.






















10 comments:

ghughutibasuti said...

वाह, बहुत बढ़िया फोटो हैं । दिखाने के लिए धन्यवाद ।
घुघूती बासूती

Unknown said...

हमारे पुरखों की नगरी से यह सुंदर छवियाँ देख कर मन प्रसन्न हो गया|
झरोखे से झाँकता ख़ूबसूरत चेहरा,खुश-ख़ुश बातचीत करती नज़र आती छोटी बेटियाँ और शायद, भीड़ की हलचल को समझने की कोशिश करता विदेशी पुरूष : उत्सव देखती जनता के हाव भाव को आपके कैमरे ने बारीकी से देखा है |

स्वप्नदर्शी said...

bachpan ke din yaad dilaane ke liye dhanyvaad

Tarun said...

Bahut saal ho gaye thai ye dekhe hue, ek baar phir se yaad taaja kar di, waqai me iska koi javab nahi. Thanks Rohit.

अजित वडनेरकर said...

सुंदर मनभावन छवियां।
आनंदम् आनंदम्.....

Ek ziddi dhun said...

ye tadka vagaira wakai itni badsurat theen kya?

Ashok Pande said...

अल्मोड़ा में मेरा शैशव बीता है. वहां का दशहरा वाक़ई एक पूरा ऑडियो-विज़ुअल झाम होता है.

'द बर्निंग पपेट्स' के नाम से बम्बई के एक फ़िल्मकार आशु सोलंकी ने शानदार फ़िल्म में इन पुतलों को बनाए जाने के पीछे की जाने वाली लगन और मशक्कत को रेकॉर्ड किया है. डीवीडी मेरे पास है और मुझे बहुत प्रिय है, अलबत्ता नैट पर उसे औरों के साथ शेयर करने का तरीक़ा मुझे नहीं आता.

इन बेहतरीन फ़ोटोग्राफ़्स को शेयर करने का शुक्रिया रोहित.

pallavi trivedi said...

मुझे नहीं पता था की अल्मोडा में इतना बढ़िया दशहरा होता है....इतनी सुन्दर तस्वीरों के लिए शुक्रिया!

girish said...

thanx dear for phots
purane din yaad aa gaye

Anil Bhakuni said...

रोहित जी आपका प्रयास बहुत प्रशंसनीय है