Thursday, July 9, 2009
इंशाअल्लाह - ओरियाना फ़ल्लाची
ओरियाना फ़ल्लाची का उपन्यास 'इंशाअल्लाह' पढ़े हुए क़रीब साल बीतने को आया, 'इन्टरव्यू विद हिस्ट्री' दोबारा पढ़ रहा हूं. हो पाया तो उस में से एकाध अध्यायों को अनूदित करके आप के सम्मुख रखूंगा.
फ़िलहाल 'इंशाअल्लाह' का अनुवाद करने की तो तब ही ठान ली थी जब उसे पढ़ कर समाप्त किया था. ओरियाना पर पिछली पोस्टें इसी अनुवाद के शुरू होने का नतीज़ा थीं. बेरूत में पोस्ट की गई इतालवी सेना के हैडक्वार्टर के एक सर्रियल क़िस्म के दृश्य से किताब शुरू होती है.
और क्या शुरुआत है. पढ़िये:
रात को आवारा कुत्तों ने शहर पर आक्रमण कर दिया. लोगों के भय का फ़ायदा उठाते हुए सैकड़ों कुत्ते बंजर सड़कों. ख़ाली चौराहों और परित्यक्त गलियों में घुस आए. किसी को नहीं पता था वे कहां से आए थे क्योंकि उन्हें दिन के वक़्त कभी नहीं देखा गया था. शायद दिन के वक़्त वे मलबे में छिपे रहते थे या तबाह कर दिए गए घरों के तहख़ानों में या सीवर लाइन में चूहों के साथ. या शायद उनका कोई वजूद ही नहीं था क्योंकि वे कुत्ते नहीं बल्कि कुत्तों के प्रेत थे जिन्होंने अन्धेरे में उन आदमियों का रूप ले लिया था जिन्होंने उनकी हत्या की थी. आदमियों ही तरह नफ़रत से भरे वे समूहों में बंटे हुए थे. आदमियों ही की तरह वे एक दूसरे के टुकड़े कर डालने पर आमादा थे, और यह उबाऊ अनुष्ठान हमेशा एक ही बहाने की आड़ में किया जाता था - फ़ुटपाथ पर स्वामित्व - उस फ़ुटपाथ पर जिसकी कीमत गन्दगी और जूठन के कारण और बढ़ गई थी. वे धीरे धीरे आगे बढ़ रहे थे - उनका नेतृत्व सबसे मज़बूत और ख़तरनाक कुता कर रहा था, और शुरू में तो कोई उन की तरफ़ ग़ौर तक नहीं कर सकता था क्योंकि वे बिना आवाज़ किये आगे बढ़ रहे थे - यह उन सैनिकों की रणनीति जैसा था जो थकानभरी रात में अपने दुश्मन पर अचानक हमला बोलकर उसे चौंकाते हुए नेस्तनाबूद कर देते हैं. लेकिन अचानक एक झुंड का नेता ज़ोर से गुर्राया मानो आक्रमण करने का संकेत दे रहा हो. फिर एक दूसरा कुता गुर्राया फिर तीसरा और उसके बाद एक सामूहिक गुर्राहट के साथ इस झुण्ड ने अपने प्रतिद्वंद्वी झुण्ड को बुरी तरह घेर लिया. तहसनहस की कार्रवाई शुरू हो गई. धूल और गन्दगी में लिथड़े कुत्ते एक दूसरे की गरदनों, रीढ़ की हड्डियों, आंखों और कानों पर धावा बोल रहे थे, उन्होंने एक दूसरे के पेट फाड़ डाले और इस सब से पैदा होने वाली ध्वनि किसी भी बम की आवाज़ से ज़्यादा कानफोड़ू थी. उस रात पता नहीं आदमियों के बीच कौन से युद्ध लड़े गए पर एक फ़ुटपाथ पर कब्ज़ा करने के लिए एक दूसरे की हत्या करते कुत्तों की चीख़पुकार किसी भी रॉकेट, मोर्टार या आर्टिलरी की आवाज़ से ऊंची थी. आराम या सन्धि का एक भी पल नहीं आया. बाद में जब भोर के बैंगनी धुंधलके में आसमान घुल गया था और कुत्तों के झुण्ड ख़ून के तालाब और साथी कुत्तों की लाशें अपने पीछे छोड़कर जा चुके थे, तब कहीं जाकर आपको रॉकेट, मोर्टार या आर्टिलरी की मदद से लड़े जा रहे युद्ध की आवाज़ सुनाई देनी थी. लेकिन उसी पल एक नया कोलाहल शुरू हुआ जो पिछले शोर-ओ-गुल जितना ही हैबतनाक था - ये मुर्ग़े थे, भय की वजह से जिनका समयबोध उलटपुलट हो गया था और जिन्होंने सूरज के स्वागत में बांग देने के बजाय बेतरह कांवकांव करना शुरू कर दिया था. एक तोप के चलने की आवाज़ और फिर कांवकांव. एक मशीनगन का विस्फोट और कांवकांव. राइफ़ल के चलने की आवाज़ और कांवकांव. हताश, भयाक्रान्त और मानवीय. एक दोहरी रुलाई जिसमें आप 'बचाओ बचाओ' की गुहार को तक़रीबन सुन सकते थे. 'बचाओ! बचाओ!'. हज़ारों हज़ार मुर्ग़े. ऐसा लग रहा था मानो हरेक घर, हरेक अहाता और हरेक छज्जा किसी पगलाए मुर्ग़ीबाड़े की पनाहगाह बन गया हो. मानो हर मुर्ग़े के जीवन का उद्देश्य चीख़ चीख़ कर अपने पागलपन की घोषणा करना भर रह गया हो, या शहर के पागलपन की, उस जगह की यातना की जिसे सेना के मानचित्रों में 36S-YC-316492-Q15 के रूप में दर्शाया जाता है. ज़ोन 36 टीयर S ग्रिड -YC कोऑर्डिनेट्स 316492 ऊंचाई 15. यानी बेरूत में इतालवी सेना का हैडक्वार्टर.
good job done ! cigarette imparts an aesthetic grace to her persona.
ReplyDeleteashok ji aap ne anuvad ne original writing ka pace barkarar rakha h.
ReplyDeleteOriana ke star ke sahsik lekhak humare andar bekhauf ho ke likhne ka vishwas bharte h...
अब फिर से इन्तज़ार रहेगा
ReplyDeleteअगली किस्त का.आपके अनुवादों पर तो सारा जहां फिदा है
कुकड़ू कूं...कुकड़ू कूं बढिया गद्य का सवेरा। बाकी गड़बड़ कालबोध का कांव-कांव मैने आज एक दिल्ली के अखबार में पढ़ा जिसने फल्लाची को कबाड़खाने के हवाले से छापा है।
ReplyDeleteagreed Munish, i do not know why but photo suggests at a heading 'Fallaci in Maikhana'
ReplyDeleteAnil bhai i'd rather say Muse of Maykhaana.
ReplyDeleteVery Nice. I am one of the admirers of Oriana Fallaci. And you are a very good translator. Congratulations.
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