Tuesday, June 15, 2010

लालटेन से ज़्यादा ज़रूरी होती है रोशनी

अरबी मूल के कवि निज़ार क़ब्बानी की कविताओं से सिद्धेश्वर सिंह पहले ही आपका परिचय करवा चुके हैं. एक पत्रिका के प्रेम-कविता विशेषांक के लिए कविताएं चुनते और अनुवाद करते हुए मेरी निगाह इसी शायर की चन्द छोटी-छोटी प्रेम कविताओं पर पड़ी. तुरन्त अनुवाद करने का मन हुआ.

पेश हैं:



१. जब भी तुम्हें चूमता हूं


जब भी तुम्हें चूमता हूं
किसी लम्बे बिछोह के बाद
मुझे महसूस होता है
मैं डाल रहा हूं एक लाल पोस्टबॉक्स में
जल्दीबाज़ी में लिखा गया एक प्रेम पत्र.

२. लालटेन से ज़्यादा ज़रूरी होती है रोशनी


लालटेन से ज़्यादा ज़रूरी होती है रोशनी
कविता ज़्यादा ज़रूरी नोटबुक से
और चुम्बन ज़्यादा ज़रूरी होंठों से.
तुम्हें लिखे मेरे ख़त
हम दोनों से बड़े और ज़्यादा ज़रूरी हैं
सिर्फ़ वही हैं वे दस्तावेज़
जिनमें लोग खोजेंगे
तुम्हारी खूबसूरती
और मेरा पागलपन.

३. मेरी प्यारी!

मेरी प्यारी!
अगर तुम होतीं पागलपन के मेरे स्तर पर
तुम फेंक देतीं अपने सारे आभूषण
बेच देतीं अपने सारे कंगन
और सो जाती मेरी आंखों में

४. मेरी प्रेमिका पूछती है

मेरी प्रेमिका पूछती है मुझसे:
"क्या फ़र्क़ है आसमान में और मुझ में?"
फ़र्क़, मेरी प्यारी,
यह है कि जब हंसती हो तुम
मैं भूल जाता हूं आसमान के बारे में.

५. गर्मियों में

गर्मियों में
मैं पसर जाता हूं समुद्र किनारे
और तुम्हारे बारे में सोचता हूं
अगर मैंने समुद्र को बता दिया होता
जो मैं तुम्हारे बारे में सोचता हूं
उसने छोड़ देना था अपने किनारों को
अपनी सीपियों को
अपनी मछलियों को
और आ जाना था मेरे पीछे पीछे


(मशहूर ऑस्ट्रियाई पेन्टर गुस्ताव क्लिम्ट की सबसे विख्यात रचना ’द किस’ का एक हिस्सा)

10 comments:

राम त्यागी said...

इस ब्लॉग का नाम कबाडखाना तो नहीं होना चाहिए ...इधर तो बढ़िया कंटेंट है भीडू

अरुणेश मिश्र said...

अति प्रशंसनीय ।

माधव( Madhav) said...

very good

shikha varshney said...

प्रशंशनीय अनुवाद.

abcd said...

---उसने छोड़ देना था अपने किनारों को---

मै अन्दाज़ा लगा रहा था यहा
--वो छोड़ देता---भी हो सक्ता था /
--उस्ने छोड़ दिया होता--भी हो सक्ता था/
मगर
--उसने छोड़ देना था--ने चुम्बक पैदा किया है../


शान्दार /

अजेय said...

o......! prem.
itane dino bad aaj tum ... yhan?

ab ise "nanga ho jana" to nahin kahenge ashok bhai?
chitra bhi bahut sashakt hai. sundar post.

पारुल "पुखराज" said...

खालिस प्रेम…कवितायें…शानदार

anurag vats said...

bahut achhi kavitayen...anuvad bhi achha...

प्रवीण पाण्डेय said...

प्यारी लघु कवितायें ।

RAJESHWAR VASHISTHA said...

जानदार कविताओं के शानदार अनुवाद...