tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post1133838167078570783..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: रंगों और शब्दों का चट्टान पुरुष.Ashok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-18023114966895474692010-12-31T17:24:18.164+05:302010-12-31T17:24:18.164+05:30स्वयं से लड़ना बेहद दुष्कर काम है | स्व से लड़ने वाल...स्वयं से लड़ना बेहद दुष्कर काम है | स्व से लड़ने वाला इंसान बाहरी दुनिया में भले ही असफल मान लिया जाता है | लेकिन अपने अन्दर वो ऐसी निधि संचित कर लेता है जो साधारण सफल लोगों के लिए दुर्लभ है | हमेशा खुद से लड़ने वाले हैं मुक्तिबोध, उनकी परंपरा को विजेंद्र आगे बढ़ाएंगे, आपका लेख पढ़कर ऐसी उम्मीद जागती है |Neerajhttps://www.blogger.com/profile/11989753569572980410noreply@blogger.com