tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post4884547079912268377..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: घोरतम तमस के सच में विजन में जन हों अपनेपन मेंAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-60056446455276814692012-12-31T20:03:34.455+05:302012-12-31T20:03:34.455+05:30अवधेश के गीत कहीं मिल सकें तो लगायें
हंस में छपे थ...अवधेश के गीत कहीं मिल सकें तो लगायें<br />हंस में छपे थे.जिन्होंने अवधेश को गाते सुना है वे भाग्यशाली थे. मेरी स्मॄति थोडा धोखा दे रही है;दो पंक्तियां आज याद आ रही हैं<br />है धुंए में शहर या शहर में धुंआ<br />आप कहते जिसे कहकशां-कहकशां<br /><br />है अंधेरा यहां और अंधेरा वहां<br /><br />तू बयानों से अपने बचा भी तो क्या<br />साफ दिखते तेरी उंगलियों के निशां<br /><br />है अंधेरा यहां और अंधेरा naveen kumar naithanihttps://www.blogger.com/profile/01356907417117586107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-30705168274925425362012-12-31T20:03:29.085+05:302012-12-31T20:03:29.085+05:30अवधेश के गीत कहीं मिल सकें तो लगायें
हंस में छपे थ...अवधेश के गीत कहीं मिल सकें तो लगायें<br />हंस में छपे थे.जिन्होंने अवधेश को गाते सुना है वे भाग्यशाली थे. मेरी स्मॄति थोडा धोखा दे रही है;दो पंक्तियां आज याद आ रही हैं<br />है धुंए में शहर या शहर में धुंआ<br />आप कहते जिसे कहकशां-कहकशां<br /><br />है अंधेरा यहां और अंधेरा वहां<br /><br />तू बयानों से अपने बचा भी तो क्या<br />साफ दिखते तेरी उंगलियों के निशां<br /><br />है अंधेरा यहां और अंधेरा naveen kumar naithanihttps://www.blogger.com/profile/01356907417117586107noreply@blogger.com