tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post7442964353858955619..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: एक हिमालयी यात्रा - दसवां हिस्साAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-47592542716814934032009-12-25T15:43:54.152+05:302009-12-25T15:43:54.152+05:30मुझे विशाल लहरों की सुदूर ध्वनियां सुनाई देती हैं ...मुझे विशाल लहरों की सुदूर ध्वनियां सुनाई देती हैं और मैं प्रस्तरयुग से पहले की सड़ी मछलियों की बदबू तक सूंघ पाता हूं. अचानक मेरा दिमाग मारकेज़ के उपन्यासों सरीखी जादुई छवियों से अट जाता है जिनमें तमाम सूख चुके महासागर हैं. मुझे एक पल को लगता है मैं इस दुनिया में हूं ही नहीं.<br /><br />यह सब इतनी तेज़ी और संक्षिप्तता के साथ हुआ है कि मैं हक्काबक्का हूं.<br />superb.yahi hai kavitaa ka nayaa bhoogol.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.com