tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post8192035111703612050..comments2023-10-29T13:39:06.893+05:30Comments on कबाड़खाना: पाप का पुरस्कार और कला की राजनीतिAshok Pandehttp://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-35389813772205980792008-06-25T17:40:00.000+05:302008-06-25T17:40:00.000+05:30आशीष भाई, आप वहां के अनुभव लिख डालिए। हमें इंतजार ...आशीष भाई, आप वहां के अनुभव लिख डालिए। हमें इंतजार रहेगा।दिलीप मंडलhttps://www.blogger.com/profile/05235621483389626810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-69995793417686233002008-06-25T16:22:00.000+05:302008-06-25T16:22:00.000+05:30दिलीप भाई,हाल में ही नन्दीग्राम से होकर आय हूँ. बह...दिलीप भाई,<BR/>हाल में ही नन्दीग्राम से होकर आय हूँ. <BR/>बहूत बूरी हालत है वहाँ की.आशीष कुमार 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/12024916196334773939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-4595586336262320272008-06-25T13:07:00.000+05:302008-06-25T13:07:00.000+05:30दिलीप भाई,आप बहुत लंबे समय बाद यहां पर आए हैं और ए...दिलीप भाई,आप बहुत लंबे समय बाद यहां पर आए हैं और एक बहुत ही जरूरी, जायज और ज्वलंत मुद्दे के साथ लेकिन मुसीबत यह है कि हम लोग बेहद सीधी-सच्ची बातों को रेशमी डिबिया में रखकर देखने के अभ्यत हो गये हैं था 'की फ़र्क पैंदा'के दरिद्र दर्शन की दिव्यता में सम्मोहित होकर कहने से बचना चाहते हैं<BR/>परंतु-<BR/><BR/>बात (तो) बोलेगी<BR/>भेद खोलेगी बात ही..<BR/> <BR/>आप एक तरह से सही कह रहे हैं कि "इन लोगों की siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-56801539233104031262008-06-25T11:52:00.000+05:302008-06-25T11:52:00.000+05:30अशोक जी, जिस सौमित्र चटर्जी को मैं पिछले 15 साल से...अशोक जी, जिस सौमित्र चटर्जी को मैं पिछले 15 साल से ऑब्जर्व कर रहा हूं, वो ये पुरस्कार जरूर लेगा। ये पुरस्कार एक संवेदनशील कलाकार नहीं ले रहा है न ही ये इनाम किसी की कला का सम्मान करने के लिए दिया जा रहा है।<BR/><BR/>मृणाल दा और सौमित्र चटर्जी का नया अवतार हम सबके सामने है। कितना लड़ेंगे ये लोग। अब थक गए हैं। अब सुस्ताने का समय है। सत्ता संस्थान की छाया में होना अच्छा लगता होगा उन्हें। <BR/><BR/>दिलीप मंडलhttps://www.blogger.com/profile/05235621483389626810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1273951886615878038.post-72904752665092815892008-06-25T10:31:00.000+05:302008-06-25T10:31:00.000+05:30फ़िल्मों से लेकर साहित्य तक तमाम सरकारी इनामात पर स...फ़िल्मों से लेकर साहित्य तक तमाम सरकारी इनामात पर सत्ताधीश काबिज़ रहने लगे हैं. यह एक नई परम्परा है इस देश की कि सत्ता में पहुंचते ही अपने आर्टिस्ट-फ़ार्टिस्ट हितैषियों को भी कुछ मुनाफ़ा पहुंचाया जाय. अख़बारों के माध्यम से अचानक किसी गुमनाम महान कलाकार के घोषित महान बन जाने की ख़बर मिलना अब अचरज से नहीं भरता.<BR/><BR/>सौमित्र बाबू के इनाम लेने या न लेने से तय होंगी बहुत सारी चीज़ें, दिलीप भाई. बहरहाल, Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.com