Sunday, September 30, 2007
सादी यूसुफ़ की ' एक काँप '
एक
काँप
थाम लो मुझे थपकियां दो मुझे
आज की रात दर्द भर हैं सारे पत्थर
सहेज लो मुझे अपने सीने में
ताकि मैं टहल सकूं आराम से
सितारे सलेटी हैं राख की मानिंद
और उन तलक जाने वाली सड़क
रोशनी से सराबोर।
(1993)
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