नए कबाड़ी का स्वागत
कबाड़खाने में आज एक बहुत शानदार कबाडी का आगमन हुआ है। अजित वडनेरकर जी का ब्लॉग ' शब्दों का सफर ' मुझे व्यक्तिगत रुप से हिन्दी का सबसे समृद्ध और श्रमसाध्य ब्लॉग लगता रहा है। उन से बहुत प्रभावित हूँ मैं। हालांकि उन से मेरी कोई मुलाक़ात वैसे नहीं है पर उनके काम को देख कर मुझे अच्छा लगा। कुछ दिन पहले मैंने उन्हें यहाँ भी कुछ उम्दा कबाड़ भेजने की दरख्वास्त की थी। मुझे आशा नहीं थी कि वे मेरे न्यौते को स्वीकार करेंगे। लेकिन आज वे यहाँ आ गए हैं और कबाड़खाना अपने को और अधिक समृद्ध देख कर प्रसन्न है। अजित भाई, तहे दिल से आपका शुक्रिया और कबाड़ी जमात में शामिल होने पर बधाई। कबाड़खाने के बाक़ी सम्मानित सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि 'शब्दों का सफर' एक बार ज़रूर करें। फिर आप बार बार उस सफर का रुख करेंगे : मेरी ग्रांटी हैगी।
अड्डा है भई अड्डा है
ReplyDeleteकबाड़ियों का अड्डा है
खोदा है खुद ही हमने
गडृढा है गहरा है
लगाया कबाड़ पर पहरा है
तिरंगा इस पर लहरा है
मन का तीखा जहरा है
चेहरों पर लगा कान बहरा है
फिर भी साहित्य का सहरा है
न तेरा है न मेरा है पीला हरा है