Wednesday, March 19, 2008

होली है ......

होली का रंग नजीर के संग !


जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की !
जब डफ के बोल खड़कते हों, तब देख बहारें होली की !


परियों के रंग दमकते हों , खुम-शीशे-जाम छलकते हों
तब देख बहारें होली की !
महबूब नशे में झुकते हों,
तब देख बहारें होली की !


हो नाच रंगीली परियों का, बैठे हों गुरुं रंग भरे
कुछ तानें होली की, कुछ नाज़ो-अदा ढंग भरे
दिल भोले देख बहारों को, कानों में आहंग भरे
कुछ तबले खड़के रंग भरे, कुछ ऐश के दम मुंह चंग भरे

कुछ घुंघरू ताल छनकते हों
तब देख बहारें होली की !

स्मृति पर आधारित - दो-चार शब्द इधर-उधर हो सकते हैं... पर होली तो होली है !


उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल (किंचित ध्वनि परिवर्तन के साथ) में प्रचलित एक होली


झनकारो, झनकारो, झनकारो
गोरी प्यारो लागौ त्यौरो झनकारो !

तुम हो बृज की सुंदर गोरी
मै मथुरा को मतवारो
गोरी प्यारो लागौ त्यौरो झनकारो !

चोली-चादर सब रंग भीजे
फागुन ऐसो मतवारो

गोरी प्यारो लागौ त्यौरो झनकारो !

सब सखियां मिल खेल रही हैं
दिलबर को दिल है न्यारो

गोरी प्यारो लागौ त्यौरो झनकारो !

अब के फागुन में अर्ज करत हूं
दिल को कर दे मतवारो
गोरी प्यारो लागौ त्यौरो झनकारो !

3 comments:

  1. सब मिलकर बोलो होली है !

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  2. अबीर का एक टीका मेरी ओर से भी .

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