Tuesday, April 29, 2008

सावन झरी लागेला धीरे-धीरे...


आज मिलते हैं स्वर और संगीत के वरदान से समृद्ध गायिक रत्ना बसु से.रत्ना जी कोलकाता में रहती हैं,उसी 'कलकत्ता' में जो पूर्वांचल के लोकगीतों में विरहिणी नायिका की कातर पुकार में बार-बार 'पुरबी बनिजिया' और 'परदेस' के रूप में आता है जहां उसका नायक कमाने गया हुआ है.रत्ना जी ने भातखंडे संगीत विद्यापीठ ,लखनऊ से संगीत विशारद की उपादि प्राप्त करने के बाद कई गुरुओं जैसे पं.ए.टी. कण्णन,श्री संजय बनर्जी,श्रीमती दालिया राउत और श्रीमती शुभ्रा बोस से शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत की दीक्षा ली है. उन्होंने अपने गायन के लिये कई ख्यातनाम पुरस्कार अर्जित किये हैं.रत्ना जी फ़्यूजन बैंड 'कर्मा' के लिये भी गा चुकी हैं,उनका एक अलबम 'बाउला, शीर्षक से आया है और खास बात तो यह है कि वह अपनी ही बिरादरी की हैं यानि कि ब्लागर.उनके ब्लाग का नाम है 'आलाप'. तो देर किस बात की ,सुनते हैं -सावन झरी लागेला धीरे-धीरे...

(मित्रो! २४ अप्रेल को जिस पोस्ट को एक बार लगाकर तकनीकी कारणों से हटा दिया था उसे आज फिर लगा रहा हूं - इस उम्मीद के साथ कि इस बार आप संगीत जरूर सुन सकेंगे.यह संगीत मुझे 'रेडियो सबरंग' के मार्फत मिल सका है,सो आभार)

5 comments:

  1. बहुत बहुत बहुत खूबसूरत गीत।
    रत्ना जी के ब्लाग का पता भी दे देते।
    और हाँ, फायरफाक्स पर नही दिखाई दे रहा गाना सुनने का विजेट।

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  2. क्या बात है भाई. सुबह सुबह मन प्रसन्न कर दिया आप ने तो. बहुत बहुत शुक्रिया इतनी उम्दा प्रस्तुति के लिए.

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  4. अरे गीत तो अच्छा लगा इसकी बधाई!!पर आजकल ये जो grogel टाईप कमेंट आ रहे हैं इसका भी रहस्य बताईये....क्यौंकि आजकल grogel समूह बहुत सक्रीय दिखाई दे रहा है और हर जगह SEE PLEASE HERE हर ब्लॉग पर दिख रहा है...जिसे खोलने में ही डर लगता है...

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  5. विमल भाई, ये जो grogel टाईप कमेंट आ रहे हैं, इस बात की इत्तिला देते हैं कि हिन्दी ब्लॉगों की पॉपुलरिटी लगातार बढ़ रही है. डराने वाले इस तरह के लिंक्स से मुझे भी डर लगता है. आप बताएं क्या किया जाए.

    वैसे बाइ द वे, आप की यहां आमद बहुत दिनों से ड्यू है साहब.

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