
एक अमरीकी चर्च के पादरी चार्ल्स टिन्डली को १९०१ में इस मशहूर गीत को रचने का श्रेय दिया जाता था.हालांकि पीट सीगर इस गीत को रेकॉर्ड करने वाले पहले गायक थे लेकिन कई विशेषज्ञों ने बाद के सालों में इसकी शुरुआत १८०० के आसपास किसी अफ़्रीकी चर्च में खोज निकाली. १९६३ के बाद जोन बाएज़ ने तमाम कॉन्सर्ट्स और विरोध प्रदर्शनों में इसे गाया और बहुत लोकप्रिय बना दिया. यह लोकप्रियता सारी सरहदों को पार कर गई और १९७० और १९८० के दशकों में इस गीत को आयरलैण्ड, दक्षिण अफ़्रीका, तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया, हंगरी और अन्य देशों में गाया गया. भारत में इस गीत की धुन इस कदर पसन्द की गई कि इसके बोल हिन्दी, बांग्ला और मलयालम में लिखे गये. आज भी यह धुन गाहे बगाहे सुनाई दे जाती है. जी हां मैं "हम होंगे कामयाब" की बात कर रहा हूं. इसे देखिये और दुनिये जोन बाएज़ के स्वर में.
(काफ़ी कोशिशों के बावजूद मैं इसका ऑडियो अपलोड नहीं कर सका सो यूट्यूब की शरण लेनी पड़ी. जोन बाएज़ पर एक लम्बी पोस्ट और उनका एक और मशहूर गीत बहुत जल्द आपको कबाड़ख़ाने में नज़र आयेगा. संभवतः आज शाम तक ही.)
जोन बाएज़ पर लम्बी पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी । उनकी आत्मकथा है Daybreak |
ReplyDeleteGood Choice !!!
ReplyDeleteJoen Baez का एक गीत है ’Please come to Boston'.यदि मिले तो सुनवाईयेगा।