अशोक भाई कमाल करते है यार आप तो- पिछ्ले दिनों राजस्थानी मांड और अब यह। शब्द नहीं मिल रहे कैसे कहूं कि जो आनन्द मिल रहा है। निश्चित खूब है। सिर्फ़ टिपयाने वाला खूब नहीं। और सुनाते रहो मित्र ऎसा ही जिसमें जीवन भी धडकता हुआ हो - ऎसे ही। कोरस सा। यौगेन्द्र आहूजा की कहानी मर्सिया मुझे इसी लिये पसंद है कि वह ऎसे ही कोरस की बात करती है। उस कहानी कि इस पंच लाईन ने मुझे आज तक जकडा हुआ है।
अशोक भाई कमाल करते है यार आप तो- पिछ्ले दिनों राजस्थानी मांड और अब यह। शब्द नहीं मिल रहे कैसे कहूं कि जो आनन्द मिल रहा है। निश्चित खूब है। सिर्फ़ टिपयाने वाला खूब नहीं। और सुनाते रहो मित्र ऎसा ही जिसमें जीवन भी धडकता हुआ हो - ऎसे ही। कोरस सा। यौगेन्द्र आहूजा की कहानी मर्सिया मुझे इसी लिये पसंद है कि वह ऎसे ही कोरस की बात करती है। उस कहानी कि इस पंच लाईन ने मुझे आज तक जकडा हुआ है।
ReplyDeleteप्रेम में डुबो देने वाला गीत सुना। सुबह का सुन्दर प्रारंभ कराने के लिए धन्यवाद।
ReplyDelete"oh, heard first time, enjoyed listning, very heart touching lyrics"
ReplyDeleteRegards
सब काम छोड़कर सुनी यह प्रस्तुति
ReplyDelete==========================
शुक्रिया
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
कल आवाज़ पर आपने बढि़या जानकारी दी और आज यहां हंकार छडने की बात की, हमने सुना और गुना भी। दुआ करें अंहकारियों को भी आपकी यह प्रस्तुति राह दिखाए।
ReplyDeleteबहुत आनंद आया हुजूर !
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