Friday, August 22, 2008

तेरे लई सारी दुनिया नूं छड्ड के, तीनों लोक दे हंकार सारा छड्ड के ... हीरे नी रांझा जोगी हो गया

और कौन!

बाबा नुसरत!

6 comments:

  1. अशोक भाई कमाल करते है यार आप तो- पिछ्ले दिनों राजस्थानी मांड और अब यह। शब्द नहीं मिल रहे कैसे कहूं कि जो आनन्द मिल रहा है। निश्चित खूब है। सिर्फ़ टिपयाने वाला खूब नहीं। और सुनाते रहो मित्र ऎसा ही जिसमें जीवन भी धडकता हुआ हो - ऎसे ही। कोरस सा। यौगेन्द्र आहूजा की कहानी मर्सिया मुझे इसी लिये पसंद है कि वह ऎसे ही कोरस की बात करती है। उस कहानी कि इस पंच लाईन ने मुझे आज तक जकडा हुआ है।

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  2. प्रेम में डुबो देने वाला गीत सुना। सुबह का सुन्दर प्रारंभ कराने के लिए धन्यवाद।

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  3. "oh, heard first time, enjoyed listning, very heart touching lyrics"

    Regards

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  4. सब काम छोड़कर सुनी यह प्रस्तुति
    ==========================
    शुक्रिया
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  5. कल आवाज़ पर आपने बढि़या जानकारी दी और आज यहां हंकार छडने की बात की, हमने सुना और गुना भी। दुआ करें अंहकारियों को भी आपकी यह प्रस्‍तुति राह दिखाए।

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  6. बहुत आनंद आया हुजूर !

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