Wednesday, November 19, 2008

पिया तो मानत नाहीं



कुछ नहीं
कुछ भी नहीं कहना है
बस्स....
सुनना है !
सुनना है !!
सुनना है !!!
इस आवाज के
महीन , मद्धम ,मादक रेशे से
खास अपने निज के एकान्त के वास्ते
सदियों से सँभाल कर सहेजे गए करघे पर
एक अदॄश्य चादर बुनना है !


कुछ नहीं
कुछ भी नहीं कहना है !!!





8 comments:

  1. जिया तो मानत नाहीं पर - "कुछ नहीं
    कुछ भी नहीं कहना है !!!"

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  2. अहा! कितना विनीत स्वर्…सराबोर! आभार !

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  3. सोने से जगमगाती आवाज़.
    किसी ऐसे लोक में ले जाती
    जहाँ कोई छदम नहीं
    कोई छल-कपट नहीं
    शुद्ध,शफ़्फ़ाक़ और
    पावन जल सा छलछल स्वर.

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  4. kitna samarpit bhav...! sach kaha kahane ko kuchh nahi ....bas feel karne ko ...bahut kuchh....!

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  5. बस्स....
    सुनना है !

    मैं भी यही कहूंगा।

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