
कुछ दिन पहले कबाड़ख़ाने में लगी राजस्थानी संगीत की श्रृंखला में एक पोस्ट बीकानेर की अल्लाह जिलाई बाई के संगीत पर आधारित थी. इस पोस्ट पर आई एक टिप्पणी में भाई प्रियंकर जी ने कमेन्ट किया था :
"उनका एक और अद्भुत गीत है ’ए मां हेलो देती लाज मरूं, झालो म्हासूं दियो न जाय/ बोलूं तो पोंचूं नहीं, हेलो देती लाज मरूं/ घड़ी एक बालमा थांसूं एक-दो बात करूं’. जब सुनता हूं मन तरल हो उठता है. परम्परा और पर्दा-प्रथा की अमानवीयता की पृष्ठभूमि में उठता दाम्पत्य-प्रेम का यह उत्कट स्वर - स्वकीय प्रेम की यह करुण पुकार भला किसे द्रवित न करेगी."
मैंने उनसे आग्रह किया था कि उक्त गीत हमें उपलब्ध करवाने की कोशिश करें. तो कल उन्होंने मेल पर यह लिंक भेज कर मेहरबानी की है.
सुनिये और आनन्दित होइये:
प्रियंकर जी का धन्यवाद.
यूट्यूब पर ही एक और शानदार गीत मिला 'बाईसा रा बीरा'
अल्लाह जिलाई बाई ने पधारो म्हारे देस भी बहुत खूबसूरत गाया था।
ReplyDeleteabhee to sirf dekha hai. ghar jakar sunenge.shukria advance.
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