ये निराशा क्यों भाई ? जब हिन्दुस्तानी अपनी किसी भी विरासत पर गर्व करने में लजाते हैं , सकुचाते हैं तो भाषा को लेकर उनकी सहज -सुलभ लाज को लेकर दुःख क्या जताना ! आज तो हालत बहुत बेहतर है सिवा इसके की हिंदी में बात करना भर जान जाने की वजह बन जाता है देश के कुछ हिस्सों में. Nice rhyme & a lovely poem anyway .
ये निराशा क्यों भाई ? जब हिन्दुस्तानी अपनी किसी भी विरासत
ReplyDeleteपर गर्व करने में लजाते हैं , सकुचाते हैं तो भाषा को लेकर उनकी सहज -सुलभ
लाज को लेकर दुःख क्या जताना ! आज तो हालत बहुत बेहतर है सिवा इसके की
हिंदी में बात करना भर जान जाने की वजह बन जाता है देश के कुछ हिस्सों में. Nice rhyme & a lovely poem anyway .
भई हिन्दी का पर्व है कहो कि हमे गर्व है ।
ReplyDeleteआपका हिन्दी में लिखने का प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है. आपके इस प्रयास के लिए आप साधुवाद के हकदार हैं.
ReplyDeleteएक बरस में कुछ और तुक मिला लेंगे वरना शब्द ही गढ़ डालेंगे. :)
ReplyDeleteखाक छानने भर ही से कर पाओगे प्यार
ReplyDeleteकरते रहोगे हमेशा गर तुक का इंतज़ार
माफ़ करें लेकिन यह व्यंग्य लज्ज़ास्पद है
ReplyDeleteबिन्दी
ReplyDeleteचिन्दी
जिन्दी
रिन्दी
&
Hindi