Monday, March 22, 2010

जीवन में पहला काम होता है अपना कर्तव्य निभाना

(पिछली किस्त से आगे)

ज्यां मिशेल ने दबी जु़बान में लेकिन गुस्से के साथ कहा:

"मैंने परमपिता परमेश्वर के साथ ऐसा क्या किया था कि मुझे ऐसा शराबी बेटा नसीब होना था? और जिस तरह मैं जिया हूं उस तरह जीने का भी क्या मतलब है? मैंने अपने आप को दुनिया की हर चीज से वंचित रखा! और तुम – तुम – तुम कुछ नहीं कर सकती यह सब रोकने के लिए? ख़ुदा के लिए! बताऊं तुम्हें क्या करना चाहिए ... तुमने उसे घर से बाहर नहीं जाने देना चाहिए! ..."

लुईसा का रोना तेज हो गया.

"मुझे डांटिए मत! मैं वैसे ही बहुत नाखु़श हूं! मैं वो सब कर चुकी जे मेरे बस में था. अगर आप जानते होते कि मुझे किस कदर डर लगता है जब मैं अकेली होती हूं! मुझे हर पल उसके कदमों की आहट सुनाई देती है. फिर मैं दरवाज़ा खुलने का इन्तजार करती हूं या खु़द से पूछती हूं: 'हे ईश्वर पता नहीं वह किस हालत में आएगा!' इस बारे में सोच कर ही मुझे मितली आने लगती है!"

वह अपनी सिसकियों की वजह से हलकान हुई जा रही थी. बूढ़ा और चिन्तित हो गया. वह उसके पास गया और उसके सिहरते कन्धों के गिर्द चादर लपेटकर अपने हाथों से उसका सिर सहलाने लगा.

"कोई बात नहीं. डरो मत. मैं हूं तो सही"

बच्चे के वास्ते वह शान्त पड़ गई और मुस्कराने की कोशिश करने लगी.

"मुझे आप से ऐसा नहीं कहना चाहिए था."

उसकी तरफ देखते बूढ़े ने अपना सिर हिलाया.

"मेरे बच्चे. मैं तुम्हें सौगात में कुछ भी न दे सका."

"सारी गलती मेरी है." वह बोली. "उसने मुझसे शादी नहीं करनी चाहिए थी. उसने जो किया उसका उसे अफसोस है."

"क्या? तुम्हारा मतलब है कि उसे इस का अफसोस है? ..."

"आप जानते हैं. आप खुद नाराज थे कि मैं उसकी बीवी बन गई."

"हम उस बारे में बात नहीं करेंगे. यह सच है कि मैं इस बात से पशेमां हुआ था. वैसा एक नौजवान – मैं बिना तुम्हें चोट पहुंचाए यह बात कह भी नहीं सकता – वैसा नौजवान जिसे मैंने कितने जतन से बड़ा किया था और एक असल संगीतकार बनाया था. वह तुमसे ज्यादा हैसियत वाला था. तुम निचले तबके की थीं और तुम्हारा पेशा भी वही नहीं था. पिछले सौ से भी ज्यादा सालों से क्राफ़्ट खानदान में किसी आदमी ने ऐसी औरत से शादी नहीं की है जो संगीतकार न हो! लेकिन तुम जानती हो मुझे तुमसे कोई शिकवा शिकायत नहीं है और तुम मुझे अच्छी लगती हो. और मैं लगातार तुम्हें जानने की कोशिशें करता रहा हूं. और इसके अलावा यह सब चुन लेने के बाद वापस जाने का कोई रास्ता नहीं हैः सिर्फ यह किया जाना है कि आप ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन करते रहें."

वह फिर से बैठ गया और एक गम्भीर आवाज निकाल कर अपने तमाम नियम कानूनों को एक वाक्य में बताता हुआ बोला:

"जीवन में पहला काम होता है अपना कर्तव्य निभाना."

वह एक जवाब का इन्तजार करता रहा और उसने आग में थूक दिया. जब मां और बच्चे दोनों ने उसकी बात का विरोध नहीं किया तो वह दुबारा से खामोश हो गया.

दोनों में कोई बात नहीं हुई. आग के नजदीक बैठा ज्यां मिशेल और बिस्तर पर लेटी लुईसा दोनों उदास होकर सपनों में खो चुके थे. अपनी कही हुई बात के बावजूद बूढ़ा अपने बेटे की शादी को लेकर कड़वाहट से भरा हुआ था और लुईसा भी इसी बारे में सोच रही थी हालांकि ऐसी कोई बात नहीं थी जिसके कारण वह अपने आप पर गुस्सा करती.

उन दिनों वह नौकरानी का काम कर रही थी जब हर किसी को हैरत में डालते हुए उसने ज्यां मिशेल के बेटे मैल्कियोर क्राफ्ट से शादी कर ली थी. खुद लुईसा इस बात से अचरज में पड़ गई थी. क्राफ्ट परिवार के पास बहुत संपत्ति नहीं थी लेकिन छोटे से राइन शहर में उसे इज्जत की निगाह से देखा जाता था. कोई पचास साल पहले बूढ़ा यहां आ कर बस गया था. पिता और पुत्र दोनों ही संगीतकार थे और कोलोन से लेकर मैनहाईम तक देश के सारे संगीतकार उनसे परिचित थे. मैल्कियोर होफ थियेटर में वायलिन बजाया करता था जबकि ज्यां मिशेल पहले ग्रैण्ड ड्यूकल कन्सर्टस में निर्देशक रह चुका था. बेटे की शादी के बाद बूढ़े को गहरे अपमान का अनुभव हुआ था क्योंकि उसने मैल्कियोर को लेकर बड़ी उम्मीदें पाल रखी थीं. उसने चाहा था कि उसका बेटा वैसा नामी गिरामी आदमी बनेगा जैसा वह खुद नहीं बन पाया था. पागलपन भरे इस कृत्य ने उसकी उम्मीदों को तहस नहस कर डाला था. शुरू में उसने मैल्कियोर और लुईसा पर अभिशापों की बौछार की थी. लेकिन वह मूलत: एक भला आदमी था और लुईसा को बेहतर जानना शुरू करने के बाद उसने अपनी बहू को माफ कर दिया. कभी कभार वह उसके लिए पिता सरीखा व्यवहार करने लगता था खासतौर पर जब वह उसे झिड़का करता.

यह बात कोई भी कभी नहीं जान सका कि किन वजहों के चलते मैल्कियोर ने यह शादी की. खुद मैल्कियोर भी नहीं जान पाया. निश्चित ही लुईसा का सौन्दर्य इसके पीछे नहीं था. उसके भीतर आदमी को रिझा सकने वाली कोई चीज नहीं थी. वह छोटे कद की फीकी रंगत वाली और नाजुक लड़की थी. वहीं ज्यां मिशेल और मैल्कियोर दोनों विशाल देह और लाल रंगत वाले चेहरों के स्वामी दैत्यों सरीखे थे जो खूब खाते और पीते थे और हंसी पसन्द करते थे और खूब शोर करना. ऐसा लगता था कि लुईसा उन के बोझ से कुचल गई है. कोई भी उस पर गौर नहीं करता था और वह खुद अपनी नगण्यता के बावजूद किसी के भी ध्यान से बच निकलना चाहती थी. अगर मैल्कियोर एक दयालु इन्सान होता होता तो इस बात पर यकीन किया जा सकता था कि वह लुईसा की सादगी को हरेक चीज पर तरजीह देता लेकिन उस से बड़ा आवारा और असफल आदमी ढ़ूंढा नहीं जा सकता था. यह अविश्सनीय लगता था कि मैल्कियोर जैसा एक सुदर्शन युवक जो मुखर होने के बावजूद पूरी तरह से प्रतिभाहीन नहीं था और जो अपने लायक एक बेहतर रिश्ता तलाश सकता था और क्या मालूम शहर में अपनी किसी छात्रा तक का ध्यान खींच सकता था – अचानक एक ऐसी लड़की को पत्नी के रूप में छांट सकता था जो बिल्कुल आम लोगों में से थी – निर्धन¸ अशिक्षित¸ रूपहीन¸ एक ऐसी लड़की जो किसी भी तरह उसके कैरियर को बेहतर नहीं बना सकती थी.

(जारी)

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