Sunday, March 14, 2010

आज मोरे घर आये बलमा



उस्ताद राशिद ख़ान गा रहे हैं राग मालकौंस की द्रुत बन्दिश

6 comments:

  1. क्याब्बात है...राशिद खान साहब की बात जुदा है...मुरकियों में एक एक सुर खिला हुआ है.....

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  2. मस्त अशोक भाई..... राशिद खान बस कमाल हैं.

    ये मेरे घर से करीब एक डेढ़ किलोमीटर पर रहते हैं ... ये अलग बात कि मोहल्ले में कभी दर्शन नहीं हुए इन के.

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  3. जबरदस्त ! आभार ।

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  4. यह मेरी प्रिय बन्दिश है ।

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