wah! wah! wah!
क्याब्बात है...राशिद खान साहब की बात जुदा है...मुरकियों में एक एक सुर खिला हुआ है.....
मस्त अशोक भाई..... राशिद खान बस कमाल हैं. ये मेरे घर से करीब एक डेढ़ किलोमीटर पर रहते हैं ... ये अलग बात कि मोहल्ले में कभी दर्शन नहीं हुए इन के.
मस्त !!!!
जबरदस्त ! आभार ।
यह मेरी प्रिय बन्दिश है ।
wah! wah! wah!
ReplyDeleteक्याब्बात है...राशिद खान साहब की बात जुदा है...मुरकियों में एक एक सुर खिला हुआ है.....
ReplyDeleteमस्त अशोक भाई..... राशिद खान बस कमाल हैं.
ReplyDeleteये मेरे घर से करीब एक डेढ़ किलोमीटर पर रहते हैं ... ये अलग बात कि मोहल्ले में कभी दर्शन नहीं हुए इन के.
मस्त !!!!
ReplyDeleteजबरदस्त ! आभार ।
ReplyDeleteयह मेरी प्रिय बन्दिश है ।
ReplyDelete