Friday, April 16, 2010

किसी आंख को सदा दो किसी ज़ुल्फ़ को पुकारो

पटियाला घराने के मशहूर गायक उस्ताद हामिद अली ख़ान साहब की यह ग़ज़ल बहुत मुश्किलों से खोजकर लाया हूं आप के लिए. ग़ज़ल लिखी है जनाब मुस्तफ़ा ज़ैदी ने.



आनन्द लीजिये:

8 comments:

  1. kya ye poori ghazal hai?...ya mujhey hi ek line ke baad sunayi nahi pad rahaa ?

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  2. हामिद अली खान साहब की ग़ज़ल हमने डाउनलोड कर ली. आभार.

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  3. इस गजल के लिए शुक्रिया!

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  4. इस गजल के लिए शुक्रिया!

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  5. आदाब जनाब ,
    शाम ही से यह ग़ज़ल सुन रहा हूँ , सप्ताह के अंतिम दिन की शाम हसीं हो गयी ... आभार आपका



    अर्श

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  6. खूबसूरत ग़ज़ल ...

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  7. mere ghar ke raste mein kahin kahkashan nahin hai...sunder

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