Friday, July 30, 2010

एक दोस्त की आत्मकथा - आगे का हिस्सा कल से जारी

आप लोगों के इसरार पर मेरे दोस्त कुंवर साहब ने अपनी आगे की कहानी लिखना स्वीकार कर लिया है. फ़िलहाल वे आज आकर मुझे चार-पांच पन्ने लिख कर दे गए हैं और साथ ही उन्होंने अपनी कुछ पुरातन तस्वीरें मुझे स्कैन करने को दीं.

आज की पोस्ट में मैं सिर्फ़ उनकी दो तस्वीरें लगा रहा हूं. दोनों १९४३ की हैं. पहली इन्टर पास करने के बाद की है. दूसरी रॉयल एयरफ़ोर्स में नौकरी पर चले जाने के बाद की.

कल से आगे की कहानी चालू. कितने दिन यह कहानी चलेगी, कुंवर साहब को मिलने वाली फ़ुरसत पर निर्भर करेगा. वे अगले माह पिचासी साल के होने वाले हैं और मैं उन पर ज़्यादा बोझा डालना नहीं चाहता. फ़िलहाल मिलिये कथानायक से.



5 comments:

  1. क्या कुंवर साहब और Titanic फिल्म के नायक, उनका नाम याद नहीं आ पर वो जो भी हैं, में आपको कोई समानता दिखती है. मुझे तो दोनों कि आंखे एक जैसी लगाती है या फिर आँखों का भाव एक सामान है. जो भी है कुंवर साहब तब स्मार्ट लगते थे. और भी कुछ चित्र उपलब्ध हों उस ज़माने के तो दर्शन कराइएगा.

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  2. कहानी में अभी भी रोचकता बरकरार है। प्रतीक्षा रहेगी।

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  3. काफी सुदर्शन व्यक्तित्व था,उनका...आज भी होगा....जैसा कि विचार शून्य जी ने कहा टाइटैनिक कि नायिका जैसा...

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