
बाबा नुसरत फ़तेह अली ख़ान की ये बन्दिश पुरानी है. मैं एक बार पोस्ट भी कर चुका हूं मगर दोबारा लगाने में क्या हरज़ है!
तकरीबन आधे घन्टे लम्बी इस रचना को पूरा सुनिये फ़ुरसत में. मौज आएगी.
डाउनलोड यहां से कीजिये:
http://www.divshare.com/download/12217845-a3d
javaab nahi aapka Comrade Ashok. Maza aa gaya.
ReplyDeleteSanjay Joshi
ऐसी लागी लगन...मीरा हो गयी मगन /
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(बात की बात.......)
यहा तो उल्टा हो गया भाई साहब
पेहले तो हो गये मगन....
अब लग गयी है लगन/
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और हो तो और सुना दो भैया /
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…आभार...
ReplyDeleteabhar, ye sunte sunte mere shehr mein barish ho gayee
ReplyDeleteshukriya is khoobsurat gaane ke liye :), behatreen bol aur awaaz !!
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