
तुम वहाँ भी होगी
अगर मुझे औरतों के बारे में
कुछ पूछना हो तो मैं तुम्हें ही चुनूंगा
तहकीकात के लिए
यदि मुझे औरतों के बारे में
कुछ कहना हो तो मैं तुम्हें ही पाऊँगा अपने भीतर
जिसे कहता रहूँगा बाहर शब्दों में
जो अपर्याप्त साबित होंगे हमेशा
यदि मुझे किसी औरत का कत्ल करने की
सजा दी जाएगी तो तुम ही होगी यह सजा देने वाली
और मैं खुद की गरदन काट कर रख दूँगा तुम्हारे सामने
और यह भी मुमकिन है
कि मुझे खन्दक या खाई में कूदने को कहा जाए
मरने के लिए
तब तुम ही होंगी जिसमें कूद कर
निकल जाऊँगा सुरक्षित दूसरी दुनिया में
और तुम वहाँ भी होंगी विहँसते हुए
मुझे क्षमा करने के लिए
(चित्र वान गॉग का)
यही मेरी शक्ति है और यही मेरी सीमा।
ReplyDeleteगज़ब गज़ब गज़ब्………………बेहतरीन चिन्तन्।
ReplyDeletebahut hee adbhut prem aur vitrishna ..dono bhavo ka anuthaa sangam par prem pradhan yah kavita bemishaal
ReplyDeleteऑनर किलिंग के माहौल में ऐसी कविता पढना सुखद है ...!
ReplyDeleteइतने गहन विस्तार की रचना देवताले जी से ही सम्भव है । मैंने उनकी कविताओं पर एक आलेख भी लिखा था 'देवताले जी की कविताओं में प्रेम और स्त्री' ।
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