अद्भुत/ वाकई कई बार सुनना पडेगा.. क्योन्की इन सवालो के जवाब क्या ही मिलेन्गे कभी... और जिस्को मिलेन्गे वो क्या ही मिलेगा कभी.. और वो जो मिला भी कभी तो क्या ही अप्ने को सारे जवाब दे देगा वो !?? और दे भी दिये तो क्या ही समझ आयेन्गे वो ?!
नाज़ खयालवी की ये कृति नुसरत बब्बा की आवाज़ में मुझे कहाँ ले जा फेंकती है....इसे बयाँ नहीं किया जा सकता ! पचास बार ..सौ बार ...हज़ार बार ..बार बार ...! वहीं..!
अद्भुत ! बार-बार सुनना होगा !
ReplyDeleteअद्भुत/
ReplyDeleteवाकई कई बार सुनना पडेगा..
क्योन्की इन सवालो के जवाब क्या ही मिलेन्गे कभी...
और जिस्को मिलेन्गे वो क्या ही मिलेगा कभी..
और वो जो मिला भी कभी तो क्या ही अप्ने को सारे जवाब दे देगा वो !??
और दे भी दिये तो क्या ही समझ आयेन्गे वो ?!
इस्लिये आओ झुमे और नाचे कि....
तुम एक गोरखधन्धा हो...
wow........
ReplyDeleteअरे सर जी,
ReplyDeleteफोटू कैसी तो लगाई है.
नुसरत का मुंह बिगड़ गया!
नाज़ खयालवी की ये कृति नुसरत बब्बा की आवाज़ में मुझे कहाँ ले जा फेंकती है....इसे बयाँ नहीं किया जा सकता !
ReplyDeleteपचास बार ..सौ बार ...हज़ार बार ..बार बार ...!
वहीं..!
हैरां हूँ मेरे दिल में समाए हो किस तरह , हालांकि दो जहाँ में समते नहीं तो तुम !
ReplyDeleteआंसू ....आंसू !!!!!