हो सकता है इस कविता को मैं यहाँ पहले भी पोस्ट कर चुका होऊं. लेकिन इस विश्वास से कि अच्छी कविता को कितनी ही बार पढ़ा जा सकता है, इसे दोबारा लगाने में कोई हर्ज़ नहीं नज़र आता. यह फिलिस्तीन के महाकवि महमूद दरवेश की रचना है.
मत लिखो इतिहास को कविता की तरह
मत लिखो इतिहास को कविता की तरह, क्योंकि हथियार है
इतिहासकार. और इतिहासकार को बुखारभरी सिहरन नहीं होती
जब वह अपने शिकारों के नाम लेता है और न ही सुनता है
गिटार पर बजाई जा रही धुन को. और इतिहास हथियारों का रोज़मर्रापन है
जो हमारे शरीरों पर एक ज़रूरी नुस्ख़ा है. "शक्तिवान होता है अक्लमन्द जीनियस." और
इतिहास के पास कोई सम्वेदना नहीं होती कि हम
अपनी शुरुआत की लालसा कर सकें, और न ही कोई उद्देश्य कि हम जान पाएं
क्या आगे है और क्या हमारे पीछे ... और रेल की पटरियों के बग़ल में
इसके पास ठहरने को कोई जगहें नहीं होतीं
जहां हम अपने मृतकों को दफ़ना सकें, कि हम देख सकें
उस तरफ़ कि वक़्त हमारे साथ क्या कर चुका है, और
क्या हमने किया है वक़्त के साथ. मानो हम इसी से बने थे और इस से बाहर थे.
इतिहास के पास न तर्क होता है न अन्तर्बोध कि हम तोड़ सकें
उसे जो बचा रह गया है अच्छे समय की हमारी मिथकों का,
यह भी कोई मिथक नहीं है जिसे हम स्वीकार कर सकें क़यामत के दिन
के दरवाज़े पर बसे रहना. यह हमारे भीतर है और हमारे बाहर है ... और एक पागल
दोहराव है, गुलेल से लेकर न्यूक्लियर तूफ़ान तलक..
निरुद्देश्य बनाते हैं हम इसे और यह बनाता है हमें ... शायद
इतिहास का जन्म उस तरह नहीं हुआ जैसा हम चाहते थे, क्योंकि
मानव का कभी अस्तित्व रहा ही नहीं?
दार्शनिक और कलाकार गुज़रे वहां से ...
और कवियों ने लिखा अपने बैंगनी फूलों का रोज़मर्रापन
और फिर गुज़र गए वहां से ... और निर्धन लोग
स्वर्ग के बारे में प्रचलित कहावतों में यक़ीन करते रहे और वहां इन्तज़ार किया किये ...
और ईश्वर आए प्रकृति को बचाने हमारी दिव्यता से
और गुज़र गए वहां से. और इतिहास के पास
विचार करने को कोई समय नहीं होता, इतिहास के पास न कोई आईना है
न कोई उघड़ा हुआ चेहरा. यह एक अवास्तविक वास्तविकता है
एक कल्पनाहीन कल्पना की, सो इसे लिखो मत.
मत लिखो इतिहास को कविता की तरह!

लाजवाब ऐतिहासिक कविता उपलब्ध कराने के लिए आभार.
ReplyDeleteइतिहास न केवल हथियार है वरन प्रयोग में भी लाया जा रहा है।
ReplyDeletebahut khub..........achchha laga..
ReplyDeletehappy new year also...
मैंने सिर्फ कविता पढ़ी और समझ गया था की यह महमूद दरवेश ने लिखी होगी... आपका बहुत शुक्रिया... यह कवितायेँ कई बार कितने उधेड़बुन से निकलकर उजाला देती है. कविता की यही सार्थकता है... धन्यवाद !
ReplyDeleteवर्तमान और भविश्य आशा से भर्पूर व काव्यमय हो ,इन दुआओ के साथ happy new year दोस्तो /
ReplyDeleteइतिहास न केवल हथियार है वरन प्रयोग में भी लाया जा रहा है।
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ReplyDeleteनूतन वर्ष 2011 की शुभकामनाएं
आपकी पोस्ट 1/1/11-1/11 की प्रथम वार्ता में शामिल है।
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteपल पल करके दिन बीता दिन दिन करके साल।
नया साल लाए खुशी सबको करे निहाल॥
अद्भुत अभिव्यक्ति... नववर्ष की मंगलकामनाएं.
ReplyDeleteफिलिस्तीन के महाकवि महमूद दरवेश की रचना पढ़वाने के लिए आभार.
ReplyDeleteअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.