
इष्टजनों के मैसेज, मेल, फोन आदि-आदि आने पर तड़ाक से उठा कर बोल दिया..."आपको भी नया साल मुबारक हो !" काहे व्यर्थ में जश्न में टांग अड़ाई जाए. एक और कैलेण्डर पर ३६५ और खाने बने होंगे.. विद्यार्थी अपनी कॉपी पर तारीख के आख़िरी खाने में कुछ दिन गड़बड़ाएंगे, फिर आदत हो जाएगी... राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश और 'आदर्श रहवासी शहर' समेत बड़े शहरों में देश की तमाम युवाशक्ति पबों, बारों और घरों में आँख बंद किए नाच रही होगी... कितनी कस कर आँखें बंद करनी पड़ेगी आईने से बचने के लिए. कार्डों की, गिफ्ट की, मोबाईल कंपनियों की, होटलों की अच्छी आमदनी होगी... कई ऐसे लोगों के मैसेज आएँगे जिन्हें आप और जो आपको साल भर से भूले हुए हैं, और अचानक वे आपके और आपके परिवार के लिए खुशनुमा ३६५ दिन भेंट कर निकल लेते हैं, अगले त्यौहार तक सामाजिक कर्तव्यों की इतिश्री करते हुए.
लेकिन नया साल सिर्फ मोबाईल वालों के लिए नहीं आएगा न केवल ईमेल वालों के लिए..आज सुबह आँख खुलने पर हर एक आदमी वहीं होगा..और शायद हर एक आदमी वही होगा, न्यू ईअर रेझोल्युशन भी दुनिया की तस्वीर नहीं बदल सकते. मेरी कोई "न्यू ईअर विश लिस्ट" नहीं है, मेरी झोली में शुभकामनाएं बहुत भरी हुई हैं, लेकिन मेरे लिए इनका वजन उठाना बहुत कठिन है क्योंकि मेरा यथार्थ पथरीला और चट्टानी है. दिनों-दिन यह एहसास घर करता जाता है कि सिर्फ सदिच्छाओं के बूते नैया पार नहीं लगेगी. गर आप और मैं इस नववर्ष में कोरी आशा के पार जा कर देख सकें तो बहुत कुछ है.
ऐसा नहीं है कि आशा के बहानों से मेरी कोई दुश्मनी है.. मैं तो यहाँ तक कहने के लिए तैयार हूँ, कि क्यों नहीं हम हर महीने शुभ नवमाह कहने की परम्परा डालें. हम संकल्प भी लें... जनवरी के महीने में हम संकल्प लें कि फुटपाथ पर सोते हुए लोगों पर हम गाडी नहीं चढ़ाएंगे, या फरवरी के महीने में हम संकल्प लें कि हम कीटनाशक दवा पर चेतावनी लिख कर चस्पा कर देंगे कि इसे पीकर किसानों का आत्महत्या करना मना है, मार्च के महीने में हम कहें कि जो लोग भूख से मर रहे हैं वो कुपोषण से मरें ताकि नवमाह की खुशियों में खलल न पड़े और देश का नाम बदनाम न हो, अप्रैल में हम कसम खाएं कि जो लोग विकास परियोजनाओं में उजड़ रहे हैं उनके लिए गारंटी के साथ चौकीदार की नौकरी दी जाएगी, मई में हम कहें कि सरकार मई दिवस की खुशी में मजदूरों को साल भर कम मजदूरी में जानवरों जैसे खटाने के एवज में एक सीईओ की एक दिन पिटाई करने का अवसर देगी. जून में दलितों से कहा जाए कि नवमाह जून की खुशी में आपपर कुछ नामी-गिरामी बालनेता उपकार करेंगे आपके साथ खाना खाकर, (कृपया पाउडर लगा कर झोपड़े में बैठें, आप टीवी पर हैं) जुलाई में देर कर रहे मानसून से निवेदन किया जाए कि तुम कृपया वनडे मैच के दिन मत बरसों.. फिर भले ही बरसकर बाढ़ लाते रहो बिहार में, कौन सी नई बात है, अगस्त में सब सैनिक संकल्प लें कि वे एक दिन में एक ही गैर मराठी को पीटेंगे और एक माह में एक ही लेखक की किताब बैन करवाएँगे.. आखिर संयम राष्ट्ररक्षकों की पूंजी है (दुसरे संकल्प में कांग्रेसी मुख्यमंत्री भी शरीक हों) सितम्बर में रिक्शाचालकों से कहा जाए कि वे राष्ट्रहित में सड़कें कार वालों के लिए खाली कर दें और फ्लाईओवर के नीचे बैठकर बीडी न पीयें इसका धुआं प्रदूषण का कारक है, अक्टूबर में मुसलमानों से कहा जाय कि वे कृपया बीच बीच में पुलिस के साथ संयुक्त शांतिकालीन युद्धाभ्यास करें ताकि फर्जी एनकाउन्टर में जल्द ही महारत हासिल की जा सके, नवम्बर में प्राथमिक उपचार के अभाव में मर रहे मरीजों के लिए बाबा रामदेव का योगाभ्यास और श्री श्री फलाने शंकर के जीने के गुर सीखना अनिवार्य करवाया जाए.. ताकि मरने से पहले एक बार आत्मिक शान्ति उन्हें प्राप्त हो सके. दिसंबर में समाचार चैनल वाले संकल्प लें कि शाहरुख खान की छींक जैसी ब्रेकिंग न्यूज के बीच भी हम कुछ समय सेलिब्रिटी एक्टिविस्ट के लिए निकालेंगे और मानवाधिकार के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे और राडिया-फाडिया आदि नामों को प्रेस की स्वतन्त्रता पर हमला मानेंगे.
खैर भैय्या अपन तो इतनाई जानते हैं कि, नए साल में जो कुछ नया होगा वो अच्छा होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. बस आप अपना काम करते रहो... और हो सके तो थोड़ा समय निकालकर आईना देखते रहो, नहीं तो हमारे समय पर जो मुखौटा चढ़ा हुआ है, उसके पार देखना बहुत मुश्किल है...
जोहार !
(फोटो गूगल से चुराया गया है)
नये साल की एक बेहतरीन पोस्ट.
ReplyDeleteनए वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteवाह वाह क्या लिखा है बहुत अच्छे. एसे ही लगे रहो.
ReplyDeleteआपको तथा आपके पूरे परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteकितने ही न किये कार्य अगले वर्ष में पहुँच जायेंगे।
ReplyDeleteHey, suddenly 'happy' does not seem to go well with this new year..
ReplyDeleteइस बहुत दमदार पोस्ट के लिए आपको बधाई और नव वर्ष की शुभ कामनाएं...
ReplyDeleteनीरज
आपने तो सदिच्छा के
ReplyDeleteबहाने नीयत में खोट
वालों की बखिया उधेड़ कर रख दी है.
...बहरहाल नए साल की यह
प्रस्तुति लाज़वाब रही.
संस्तुति रूप में नहीं आपके संकेतों की गहराई के
सम्मान में लाज़वाब मानता हूँ.
======================================
शुभकामनाएँ
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
नया साल आपको और आपके पूरे परिवार को मुबारक हो..
ReplyDeleteप्रिय सीजो,
ReplyDeleteतुम से हुई चर्चा और तुम्हारे कमेन्ट पर बहुत देर तक सोचा. शायद सचमुच मेरे नए साल की पोस्ट से निराशा और अवसाद झलकता है, लेकिन मैं विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि मैं आशावादी हूँ, और इस कठिन समय में भी जो कुछ सुन्दर है, आशा देने वाला है, वह मुझे खुशी से भर देता है. लेकिन नए साल के भौंडे जश्नों और खोखली शुभकामनाओं के इतिहास से मैं भड़का हुआ था, हमारी हकीकत की विद्रूपता ने उझे इस कदर उत्तेजित कर दिया था कि अचानक मैं उपदेशात्मक शैली में दुनिया को हकीकत दिखने चल पडा. खैर अब मुझे लगता है कि इस पोस्ट को ऐसे ही रहने दिया जाय.. अभी तो मेरे लिखने की शुरुआत है, आगे और परिपक्वता आयेगी..
सप्रेम
इकबाल
और देर से ही सही आप सभी को नया साल मुबारक हो, 'सिनिकली' नहीं दिल से उम्मीद कर रहा हूँ...:)
ReplyDelete