प्रेमगीत
कवि ने प्रेमगीत लिखा, बेहद खूबसूरत, और उसने इसकी कई सारी नक़ल तैयार की, और अपने दोस्तों और जानने वालों को, पुरुष और स्त्री दोनों को, यहाँ तक कि एक लड़की जिससे वह सिर्फ एक ही बार मिला था और जो पहाड़ों के दूसरी ओर रहती थी उसे भी, वो गीत भेज दिया |
और एक-दो दिन बाद एक संदेशवाहक उस लड़की की ओर से एक पत्र लेकर आया | पत्र में उसने लिखा था, "मैं तुम्हें यकीन दिलाना चाहती हूँ, कि जो प्रेमगीत तुमने मेरे लिए लिखा है, उसने मेरे दिल को छू लिया है | आओ, और मेरे माता पिता से मिलो, और उसके बाद हमें अपनी सगाई की तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए |"
कवि ने जवाबी पत्र लिखा, और उसमे उसने कहा, "मेरे दोस्त, यह एक कविह्रदय से निकला सिर्फ एक प्रेमगीत है, जो हर पुरुष द्वारा हर स्त्री के लिए गाया गया है |"
तब उस लड़की ने कवि को दुबारा पत्र लिखा और कहा, "झूठे और मक्कार ! शब्दों का पाखण्ड करने वाले ! आज से क़यामत के दिन तक मैं सभी कवियों से नफरत करती रहूंगी |"
और एक-दो दिन बाद एक संदेशवाहक उस लड़की की ओर से एक पत्र लेकर आया | पत्र में उसने लिखा था, "मैं तुम्हें यकीन दिलाना चाहती हूँ, कि जो प्रेमगीत तुमने मेरे लिए लिखा है, उसने मेरे दिल को छू लिया है | आओ, और मेरे माता पिता से मिलो, और उसके बाद हमें अपनी सगाई की तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए |"
कवि ने जवाबी पत्र लिखा, और उसमे उसने कहा, "मेरे दोस्त, यह एक कविह्रदय से निकला सिर्फ एक प्रेमगीत है, जो हर पुरुष द्वारा हर स्त्री के लिए गाया गया है |"
तब उस लड़की ने कवि को दुबारा पत्र लिखा और कहा, "झूठे और मक्कार ! शब्दों का पाखण्ड करने वाले ! आज से क़यामत के दिन तक मैं सभी कवियों से नफरत करती रहूंगी |"
आँसू और हँसी
नील नदी के किनारे, सांझ के झुटपुटे में, सियार घड़ियाल से मिला और उन्होंने रूककर एक दूसरे को नमस्ते किया |
सियार ने कहा, "सब कैसा चल रहा है, जनाब ?"
घड़ियाल ने जवाब दिया, "बहुत बुरा वक़्त है | कभी कभी अपने दुख दर्द से मैं रोने लगता हूँ, और बाकी लोग कहते हैं, 'ये कुछ नहीं बस घडियाली आँसू हैं |' ये बात मुझे इतनी चुभती है कि क्या बताऊँ |"
तब सियार ने जवाब दिया, "तुम अपने दुख, दर्द की बात करते हो पर एक बार जरा मेरे बारे में भी तो सोचो | मैं इस दुनिया की खूबसूरती, इसके अचरजों, और इसके चमत्कारों को निहारता हूँ, और बहुत खुश होता हूँ | हँसता हूँ, बेहद जोर जोर से, जैसे दिन का उजाला चारों ओर फैलता है | और बाकी लोग कहते हैं, 'ये कुछ नहीं बस सियार की हुआं-हुआं है |'"
सियार ने कहा, "सब कैसा चल रहा है, जनाब ?"
घड़ियाल ने जवाब दिया, "बहुत बुरा वक़्त है | कभी कभी अपने दुख दर्द से मैं रोने लगता हूँ, और बाकी लोग कहते हैं, 'ये कुछ नहीं बस घडियाली आँसू हैं |' ये बात मुझे इतनी चुभती है कि क्या बताऊँ |"
तब सियार ने जवाब दिया, "तुम अपने दुख, दर्द की बात करते हो पर एक बार जरा मेरे बारे में भी तो सोचो | मैं इस दुनिया की खूबसूरती, इसके अचरजों, और इसके चमत्कारों को निहारता हूँ, और बहुत खुश होता हूँ | हँसता हूँ, बेहद जोर जोर से, जैसे दिन का उजाला चारों ओर फैलता है | और बाकी लोग कहते हैं, 'ये कुछ नहीं बस सियार की हुआं-हुआं है |'"
कथा तो अच्छी हैं।
ReplyDeleteबस समीकरण कुछ यूँ हो गया लगता है-
कवि=घडियाल=सियार
दोनो लघुकथायें काफ़ी कुछ कह जाती हैं।
ReplyDeletehmmmm bouth he aache shabad hai aapke.... nice blog
ReplyDeletekeep visiting My Blog Thanx...
Lyrics Mantra
Music Bol
@Pritish--Agreed!A Poet is basically a hypocrite either as a person or as a poet.
ReplyDeleteप्रेम के भावों का सम्मान हो।
ReplyDeleteप्रीतीश भाई, मजा आ गया आपके कमेन्ट पे | सोच रहा था कि क्या जवाब दूँ, बस उपरवाला जानता है बार बार इस पेज पे आ रहा हूँ हँसने के लिए, वल्लाह !!!
ReplyDeletedono hi laghukatha rochak hai
ReplyDelete...
mere blog par
"jharna"
केवल कवि में ही नही,हमें जीवन के हर क्षेत्र मे पाखण्ड नज़र आता है. दूसरी कथा यह साबित कर देती है. क्यों कि हमारा नज़रिया ही पाखण्ड पूर्ण हो गया है. क़ायनात की हर अभिव्यक्ति एक पाख्ण्ड ही तो है... !यदि आप अपने प्रेम मे पाखण्ड नही करोगे तो पेम को सम्मान भी न मिल पाएगा. क्यों कि प्रेम को सम्मान "पाखण्डियों" ने देना होता है.
ReplyDeletesiyar ki hua hua aur ghadiyal ke aansuon ne dil ko chhoo liya...kuchh jakham chitkar kar uthe..bahut sarthak lekhan...
ReplyDeleteदोनों ही लघुकथा सोचने को मजबूर कर देती है... prem वाली बात पर प्रेमिका का पत्र और रूठना इस पर अजेय का कमेन्ट...
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