वर्ष २०११ : हिन्दी साहित्य संसार में प्रयोगवाद एवं नई कविता को प्रतिष्ठित करने वाले कवि- कविनायक अज्ञेय (७ मार्च, १९११- ४ अप्रैल, १९८७) का जन्म शताब्दी वर्ष। आज साझा करते हैं उनकी तीन कवितायें।
तीन कवितायें : अज्ञेय०१- जाड़ों में
लोग बहुत पास आ गए हैं।
पेड़ दूर हटते हुए
कुहासे में खो गए हैं
और पंछी ( जो ऋत्विक है )
चुप लगा गए हैं।
०२- अलाव
माघ : कोहरे में अंगार की सुलगन
अलाव के घेरे के पार
सियार के आँखों की जलन
सन्नाटे में जब-तब चिनगी की चटकन
सब मुझे याद है : मैं थकता हूँ
पर चुकती नहीं मेरे भीतर की भटकन।
०३- धूप
सूप - सूप भर
धूप कनक
यह सूने नभ में गई बिखर
चौंधाया
बीन रहा है
उसे अकेला एक कुरर।

अज्ञेय ने हिंदी कविता को नई दिशा दी थी.. पश्चिम से प्रयोगवाद लेकर हिंदी कविता को समृद्ध किया.. वर्तमान कविता को पढ़कर फिर से अच्छा लगा..
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteagyey ke baare men kuch bhi kahna unhen kam aanknaa hota hai.
ReplyDeleteagyey ke baare men kuch bhi kahna unhen kam aanknaa hota hai.
ReplyDeleteयह 'कविनायक' क्या बला है? 'नायक' जैसे नख़रों वाला कवि? :)
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