अगर तू इत्तेफ़ाकन भी जायेतेरी फुरक़त के सदमे कम ना होंगे...वाह ! दिल ख़ुश हो गया फरीदा जी को सुन के... बहुत बहुत शुक्रिया इसे सुनवाने के लिये...
इसी को मेहंदी हसन जी ने ऐसे ही गया है -आनंद आ गया!आभार !
इतने हुनर ..इतनी कशीश की दरकार है की कोई ताजो-तख्थ केह दे--जाओ तुम्हे तो--सात खून भी माफ़.......
पूरी गज़ल सुनाई नही दी बस एक लाईन ही सुनाई दी। धन्यवाद।
अगर तू इत्तेफ़ाकन भी जाये
ReplyDeleteतेरी फुरक़त के सदमे कम ना होंगे...
वाह ! दिल ख़ुश हो गया फरीदा जी को सुन के... बहुत बहुत शुक्रिया इसे सुनवाने के लिये...
इसी को मेहंदी हसन जी ने ऐसे ही गया है -आनंद आ गया!आभार !
ReplyDeleteइतने हुनर ..
ReplyDeleteइतनी कशीश की दरकार है की कोई ताजो-तख्थ केह दे--जाओ तुम्हे तो--सात खून भी माफ़.......
पूरी गज़ल सुनाई नही दी बस एक लाईन ही सुनाई दी। धन्यवाद।
ReplyDelete