माया एन्जेलू की एक और कविता
अस्वीकार
प्यारे,
किन दूसरी ज़िन्दगानियों और संसारों में
मैंने जाना है तुम्हारे होंठों को
तुम्हारे हाथ
तुम्हरी बहादुर
धृष्टतापूर्ण हंसी.
वे मिठासभरे प्राचुर्य
जिन्हें कितना लाड़ करती हूं मैं.
अभी क्या निश्चित है
कि हम दोबारा मिल सकेंगे.
किन्हीं दूसरे संसारों में
किसी बेतारीख़ मुस्तकबिल में.
मैं अपनी देह की जल्दबाज़ी को नज़र अन्दाज़ करती हूं.
एक और मीठी मुलाकात के
बिना किसी वायदे के
मैं अहसान नहीं करूंगी मरने का.
I defy my body's haste !
ReplyDeleteWhat surety is there
That we will meet again !