Monday, June 20, 2011

ऐ इश्क हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे

आज फिर आबिदा :







कुछ इस अदा से आज वो पहलूनशीं रहे 
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे 
या-रब किसी की राज़-ए-मुहब्बत की ख़ैर हो 
दस्त ए जुनूँ रहे न रहे आस्तीं रहे 
दर्द-ए-ग़म-ए-फ़िराक के ये सख्त मरहले
हैराँ हूँ मैं के फिर भी तुम इतने हसीं रहे 
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर 
ऐ इश्क हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे 
अल्लाह रे चश्म-ए-यार की मौजिज़ बयानियाँ 
हर इक को है गुमाँ के मुख़ातिब हमी रहे
इस इश्क की तलाफ़ी ए माफ़ात देखना 
रोने की हसरतें हैं जब आंसू नहीं रहे 

4 comments:

  1. नीरज जी बहुत उम्दा..
    खास कर.. जा और कोई जब्त की दुनिया तलाश कर
    ऐ इश्क हम तो अब तेरे काबिल नहीं रहे...वाह..

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  2. आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं |

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