आज फिर आबिदा :
कुछ इस अदा से आज वो पहलूनशीं रहे
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे
या-रब किसी की राज़-ए-मुहब्बत की ख़ैर हो
दस्त ए जुनूँ रहे न रहे आस्तीं रहे
दर्द-ए-ग़म-ए-फ़िराक के ये सख्त मरहले
हैराँ हूँ मैं के फिर भी तुम इतने हसीं रहे
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर
ऐ इश्क हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे
अल्लाह रे चश्म-ए-यार की मौजिज़ बयानियाँ
हर इक को है गुमाँ के मुख़ातिब हमी रहे
इस इश्क की तलाफ़ी ए माफ़ात देखना
रोने की हसरतें हैं जब आंसू नहीं रहे

waah
ReplyDeleteakhiri sher kamaal hai bhai! ashoke ko samrpit!
ReplyDeleteनीरज जी बहुत उम्दा..
ReplyDeleteखास कर.. जा और कोई जब्त की दुनिया तलाश कर
ऐ इश्क हम तो अब तेरे काबिल नहीं रहे...वाह..
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