Wednesday, November 30, 2011

व्हाइ इज़ दिस कोला वेरी


दक्षिण भारत के सुपरस्टार रजनीकान्त के २१ वर्षीय भतीजे अनिरुद्ध रविचन्दर ने ताज़ा तमिल फ़िल्म '3' में गीत कम्पोज़ किया है जो हफ़्ते भर के भीतर लोकप्रियता के शिखर पर जा पहुंचा है. यह गीत तमिल और अंग्रेज़ी की खिचड़ी टैन्ग्लिश में गाया गया है और तमिल फ़िल्मों में इस तरह की खिचड़ी का प्रयोग कोई नई बात नहीं है. फ़िल्म का निर्देशन एश्वर्या धनुष ने किया है और उन्होंने ही गीत लिखा भी है. फ़िल्म की नायिका मशहूर अभिनेता कमल हासन की बेटी श्रुति हासन हैं.

प्रेम की असफलता की थीम पर रचा गया यह गीत २२ नवम्बर को बीबीसी ने भी प्रसारित किया.

एक बार ज़रूर सुनिये. मज़ा आएगा.



यह गीत मुझे कल रात इत्तेफ़ाक़न मिल गए संगीत के पारखी श्री परमजीत सिंह मारवाह की निस्बत में सुनने को मिला. उन्होंने विश्व संगीत से और भी कई नायाब चीज़ें सुनवाईं. धीरे धीरे आपको सुनवाता हूं. थैंक्यू परमजीत सिंह जी. थैंक्यू विशाल विनायक.

7 comments:

  1. बड़ा ही आनन्द आया यह कर्णप्रिय गाना सुनने में।

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  2. व्हाई इज दिस कोलावरी…दैट्स द क्वेश्चन.

    आसपास रहने वाले स्टूडेंट्स के बीच एक हलचथ थी. हवा में कोलावरी-कोलावरी जैसा कुछ तैर रहा था. शब्द नया और कुछ चौंकाने वाला था. पहले ये फुसफुसाहट की शक्ल में सामने आया, फिर चारों तरफ़ कोलावरी-कोलावरी का शोर सुनाई देने लगा. छात्रों से लेकर शिक्षक तक. क्रिकेट के दीवानों से लेकर आंदोलनों में शरीक रहने वाले दोस्तों तक. इस ‘संगीत’ से अभिभूत थे. लोग इस शोर में महान संगीत तलाश रहे थे. कुछ दोस्त हक्के-बक्के होकर इसके बारे में ज़्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे थे. संचार (कम्युनिकेशन) पढ़ाने की वजह से मैं इस गाने की लोकप्रियता के बारे में सोचने लगा. कहां से आया कोलावरी, कैसे पहुंचा ये हम तक? क्या है संदेश? क्या हैं अर्थ? सीमियोटिक अनालिसिस किया जाए कि राजनीतिक अर्थशास्त्र पता लगाया जाए?

    अचानक सदी के बाज़ारू महानायक समेत बडी संख्या में लोग इसके दीवाने हो गए. शोसल नेकवर्किंग साइट्स पर इस गाने के चर्चे चले. बाक़ी संचार माध्यमों में भी ऐसे बात होने लगी जैसे कोई चमत्कार.
    नमस्कार! नमस्कार!! चमत्कार को नमस्कार!!!

    प्रचार. विज्ञापन. प्रोपेगेंडा. एजेंडा सेटिंग. ये सब शब्द दिमाग में घूमने लगे.

    सूचना का हमला. हमले में संगीत. संगीत में युद्धोन्माद. जैसे टेलीविजन चैनलों में चलने वाला सुरों का संग्राम. जैसे टूटा हुआ दिल. उसे जोड़ने वाला फेवीकोल. जैसे, गोरा बनाने की क्रीम. जैसे, लड़की पटाने वाला डियो/सेंट/ खुशबू. जैसे, हर एक फ्रेंड ज़रूरी होता है. एकमत होती दर्शकों, पाठकों और श्रोताओं की भीड़. संस्कृति का उत्पाद. पॉप्युलर संस्कृति. आधुनिकता. उत्तरआधुनिकता. भीड़ का तर्कशास्त्र और प्रोड्यूसर का मुनाफ़ा.
    सवाल अब तक दीमाग में कहीं टंगा हुआ है.

    आई वंडर ह्वाई दिस कोलावरी इस सो हिट?

    डू यू हैव एनी आन्सर?

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  3. http://patrakarpraxis.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html

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  4. व्हाई इज दिस कोलावरी…दैट्स द क्वेश्चन.
    http://patrakarpraxis.blogspot.com/

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  5. यार कुछ मज़ा नही आया
    ..इस गाने का फ्यूचर डार्क लगता है .

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  6. its having catchy beat....will stay for some time then we'll forget this..
    till then enjoying the song...

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